भाजपा की ईंट का जवाब पत्थर से देते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को भगवा दल पर आतंकवाद के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया और उस काले दिन को याद किया जब उसके मंत्री फाँसी पर लटकाने की बजाय आतंकवादी मसूद अजहर को रिहा करने कंधार गए थे।
गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का प्रचार खत्म होने की घड़ी करीब आने के बीच कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा पर उसी की जबान में हमला बोला। विपक्षी दल ने मसूद अजहर की तस्वीर के साथ एक विज्ञापन जारी किया जिसे राजग सरकार ने कुछ साल पहले कंधार में रिहा किया था।
जसवंतसिंह पर निशाना साधते हुए विज्ञापन में कहा गया है उस काले दिन को याद करें जब भाजपा नीत राजग सरकार के मंत्री आतंकवादी मसूद अजहर को फाँसी पर लटकाने की बजाए उसे रिहा करने के लिए कंधार गए थे।
इस विज्ञापन में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गाँधी की भावनाओं को पेश किया गया है, जिन्होंने दिसंबर 1999 की इस घटना को उठाकर राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भाजपा के कांग्रेस पर लगातार बोले जा रहे, आक्रामक रवैये का जवाब देने की कोशिश की है।
इस घटना में इंडियन एयरलाइंस के विमान का अपहरण कर कंधार ले जाया गया था और उसके मुसाफिरों को रिहा करने की एवज में अजहर को छोड़ा गया था।
सोनिया के आरोपों और अखबार में छपे विज्ञापन के जवाब में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा उस वक्त जब आतंकवादियों को रिहा किया गया तो कोई आलोचना नहीं की गई थी। राजनीतिक दल हर रोज प्रधानमंत्री निवास के समीप उन 150 लोगों की रिहाई की माँग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, जो विमान के भीतर मौजूद थे।
कांग्रेस के विज्ञापन में मुहम्मद अली जिन्ना की कब्र पर सजदा के लिए भाजपा नेता की पाकिस्तान यात्रा और गुजरात सरकार के सरकारी प्रकाशन में प्रकाशित जिन्ना की उस सराहना का जिक्र है, जो आडवाणी ने वहाँ की थी। इस विज्ञापन में लोगों से गुजरात के गाँधीनगर में मुख्यमंत्री निवास के समीप स्थित अक्षरधाम मंदिर पर हुए हमले को याद करने का आह्वान भी किया गया है।
इसमें पाकिस्तानियों को कारगिल में दाखिल होने की इजाजत देने तथा संसद और लाल किला पर हमला करने को लेकर भाजपा सरकार के गैर जिम्मेदाराना रवैये का उल्लेख भी किया गया है।
कांग्रेस के आज के कदम को ईंट का जवाब पत्थर र्सें की तर्ज पर देखा जा रहा है क्योंकि संसद पर हमले (13 दिसंबर) की छठी बरसी पर कल भाजपा ने एक विज्ञापन प्रकाशित कराया था। इसमें कांग्रेस पर वोटों के लिए साजिशकर्ता अफजल गुरु (हमले के आरोपी) को फाँसी पर न चढ़ाने का आरोप लगाया गया था।
हिन्दी में जारी भाजपा के इस विज्ञापन में कहा गया था कि संसद हमले में शामिल सभी आतंकवादी मारे गए थे और साजिशकर्ताओं के खिलाफ पोटा के तहत मामला दर्ज किया गया है।
आरोपियों को तीन साल के भीतर सजा हो गई थी और उच्चतम न्यायालय भी सजा-ए-मौत की पुष्टि कर चुका। हालाँकि वोटों की खातिर साजिशकर्ता अब भी जिंदा हैं। पार्टी ने कहा था आखिर कब तक आतंकवाद पर समझौते किए जाते रहेंगे?
गुजरात विधानसभा चुनावों में आतंकवाद मुख्य मुद्दा बन गया है और दोनों ही दल एक दूसरे पर आतंकवाद पर लगाम कसने में नाकामी का आरोप लगा रहे हैं।