सीओपीडी एक क्रॉनिक फेफड़ों की बीमारी है। इसमें सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं और उनमें सूजन आ जाती है। यह सूजन निरंतर बढ़ती रहती है जिससे आगे चलकर फेफड़े छलनी हो जाते हैं। इसे एम्फायसेमा कहते हैं। यह बीमारी सांस में रुकावट से शुरू होती है और धीरे-धीरे सांस लेने में मुश्किल होने लगती है। यह मुख्य रूप से तब होती है जब दो मौसम आपस में मिल रहे होते हैं। या कहें कि जब मौसम परिवर्तित होता है तब इसकी संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
सीओपीडी का मुख्य उपचार रिस्क फैक्टर को रोकना है। रिस्क फैक्टर जैसे चूल्हे का धुआं, धूल और प्रदूषण आदि से बचना जरूरी है।
सावधानियां
धूम्रपान तुरंत छोड़ दें।
अगर आपके घर में पेस्ट कंट्रोल या रंग का काम हो रहा है, तो इससे दूर रहें।
ज्यादा प्रदूषण में बाहर न निकलें।
किचन में उठने वाले धुएं और मसालों की गंध से दूर रहें। बत्ती वाले केरोसिन के स्टोव का उपयोग न करें।
पौष्टिक खाना खाइए। खाने में फल और सब्जियों के साथ प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं।
अगर खाना खाते समय सांस फूलने लगे, तो धीमे खाइए।
वजन ज्यादा है, तो उसे कम करने की कोशिश करें।
सांस वाले व्यायाम करें। खासतौर पर सीधे बैठकर नाक से सांस खींचकर मुंह से सीटी बजाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
हल्का व्यायाम करें। प्रतिदिन 4 किमी पैदल जरूर चलें।