डेंगू से बचाव ही उसका इलाज है

रोगी होने के बाद इलाज कराना मजबूरी हो जाता है, लेकिन रोगी न हो इसके लिए सावधानी जरूरी है। बीमारी को पैर पसारने न दिए जाएं साथ ही सुरक्षा के जितने हो सकें उपाय करें। संक्रामक बीमारियों के रोगाणु संपर्क में आने पर हमला करते हैं। रोग प्रतिरोधक प्रणाली को इतना मजबूत कर लें कि रोगाणुओं का हमला भी बेकार चला जाए।

स्वाइन फ्लू, डेंगू और मलेरिया ऐसी ही बीमारियां हैं, जो संक्रमण से फैलती हैं।

स्वाइन फ्लू किसी भी संक्रमित मरीज की खांसी के साथ निकली बूंदों के संपर्क में आने से फैलता है। डेंगू मादा एडीस इजीप्ट मच्छर के काटने से फैलता है। इसी तरह मलेरिया भी मच्छर के काटने से फैलता है। इस मौसम में मलेरिया होने की आशंका अधिक रहती है।

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डेंगू के लक्षण
अचानक तेज बुखार, शरीर के रेशेस, बदन दर्द, सिर दर्द, मांसपेशियों व जोड़ों में जबरदस्त दर्द प्रारंभिक लक्षण हैं। एक अन्य प्रकार के डेंगू, जिसको हेमरेजीक डेंगू कहा गया है, में रक्तस्राव के लक्षण व बेहोशी के लक्षण प्रतीत होते हैं। श्वास में रुकावट भी उत्पन्न होती है। ऐसे मरीज को तुरंत किसी अच्छे अस्पताल में, जहां आईसीयू सुविधा हो, ले जाना चाहिए, क्योंकि उसमें प्लेटीलेट कोशिकाओं (रक्त में एक प्रकार की कोशिकाएं, जो खून के शरीर में बहाव को रोकती है) की कमी हो जाती है।

इन वायरसजनित बीमारियों का जलवायु परिवर्तन से गहन रिश्ता है अतः मौसम अनुसार खुद-ब-खुद भी बीमारी का फैलना रुक जाता है। यह बीमारी ब्राजील जैसे देश में सर्वाधिक होती है, जहां तापमान पर्यावरण में अधिक रहता है। भारत में प्राकृतिक रूप से कई प्रकार के वायरस फैल नहीं पाते हैं।

बचाव के तरीके
रोगग्रसित मरीज का तुरंत उपचार शुरू करें व तेज बुखार की स्थिति में पेरासिटामाल की गोली दें।

एस्प्रिन या डायक्लोफेनिक जैसी अन्य दर्द निवारक दवाई न लें।

खुली हवा में मरीज को रहने दें व पर्याप्त मात्रा में भोजन-पानी दें जिससे मरीज को कमजोरी न लगे।

फ्लू एक तरह से हवा में फैलता है अतः मरीज से 10 फुट की दूरी बनाए रखें तो फैलने का खतरा कम रहता है।

जहां बीमारी अधिक मात्रा में हो, वहां फेस मॉस्क पहनना चाहिए।

घर के आसपास मच्छरनाशक दवाइयां छिड़काएं।

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एडिस मच्छर दिन में काटते हैं, अतः शरीर को पूर्ण रूप से ढंकें।

पानी के फव्वारों को हफ्ते में एक दिन सुखा दें। घर के आसपास छत पर पानी एकत्रित न होने दें।

घर का कचरा सुनिश्चित जगह पर डालें, जो कि ढंका हो।

कचरा आंगन के बाहर न फेंककर नष्ट करें।

पानी की टंकियों को कवर करके रखें व नियमित सफाई करें।

इस तरह थोड़ी-सी सावधानी से स्वस्थ रहा जा सकता है।

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