मन चंचल है, उसे थामिए

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मन के भार को कम करने के लिए इच्छाओं की सीमा को समझें। एकांत में अंतर्मन का निरीक्षण अवश्य करें। आत्म निरीक्षण ही ध्यान की सबसे बड़ी पद्धति है।

मन को अमन में बदलने के लिए स्वयं को नियम में बांधना आवश्यक है। सूर्य दिन में उगता है रात में नहीं। उसी प्रकार रात में मन सोता है और दिन में जगता है। रात में उसे मत जगाओ।

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मन अपने दायरे को छोड़कर कहीं भागता नहीं। उसका दायरा शरीर व मस्तिष्क ही है। हमें भ्रम है कि दुनिया के कोने-कोने में ये जाता है।

मन विचारों को पैदा करके स्वयं उसी से डरता है। जैसे भूत प्रेत का विचार।

किसी भी कल्पना से यदि कल्पना करने वाले को दुख पहुंचता है तो वह कल्पना हमारे स्वभाव के लिए उचित नहीं है।

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