आकाश खड़ा है प्रतीक्षारत

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दिन भर देखती हूं
घर की दीवारें खिड़कियां पर्दे
रोशनी बल्ब कारपेट
सफेदी के चोगे में छिपी एक हलचल
पूछती कुछ सवाल
आंखें खिड़की पर गड़ाए
देखती हूं
आकाश खड़ा है प्रतीक्षारत।

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