क्या ऎसा हो सकता है माँ...

आभा

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माँ

चाँद देखकर होते हैं खुश बच्चे

पर मुझे यह चाँद न सुहाया

क्यों नहीं हुई खुशी इसे देखकर

कभी भी

न आँगन के थाल में

न नदियों के जल में

न नम आँखों में

कहीं भी इसे देखकर खुशी नहीं हुई।

ऎसा क्यों हुआ माँ

तुम बता सकती हो मुझे

क्योंकि मैंने सुना है

माएँ समझती हैं

अपने बच्चों के मन को ठीक से।

क्यों न ऎसा हो माँ

मुझे आन लो हमेशा के लिए

NDND
अपने पास

और तुम सुलाकर इस चाँद को

हटा दो मेरे मन से

मैं भूल जाऊँ कि चाँद होता ही नहीं।

क्या ऎसा हो सकता है माँ......|

साभार : वागर्थ