श्याम सखा श्याम
हम जैसों से यारी मत कर
खुद से यह ग़द्दारी मत कर
तेरे अपने भी रहते हैं
इस घर पर बमबारी मत कर
रोक छलकती इन आँखों को
मीठी यादें खारी मत कर
हुक्म उदूली का खतरा है
फ़रमां कोई जारी मत कर
आना जाना साथ लगा है
मन अपना तू भारी मत कर
खुद आकर ले जाएगा 'वो'
जाने की तैयारी मत कर
सच कहने की ठानी है तो
कविता को दरबारी मत कर
'श्याम' निभानी है गर यारी
तो फिर दुनियादारी मत कर
साभार : मसि-कागद