बेटी पर कविता

अशोक गर्ग 'असर'

ND


राह देखता तेरी बेटी, जल्दी से तू आना
किलकारी से घर भर देना, सदा ही तू मुस्काना

ना चाहूं मैं धन और वैभव, बस चाहूं मैं तुझको
तू ही लक्ष्मी, तू ही शारदा, मिल जाएगी मुझको

सारी दुनिया है एक गुलशन, तू इसको महकाना
किलकारी से घर भर देना, सदा ही तू मुस्काना

बन कर रहना तू गुड़िया सी, थोड़ा सा इठलाना
ठुमक-ठुमक कर चलना घर में, पैंजनिया खनकाना

चेहरा देख के तू शीशे में, कभी-कभी शरमाना
किलकारी से घर भर देना, सदा ही तू मुस्काना

उंगली पकड कर चलना मेरी, कांधे पर चढ़ जाना
आंचल में छुप जाना मां के, उसका दिल बहलाना

जनम-जनम से रही ये इच्छा, बेटी तुझको पाना
किलकारी से घर भर देना, सदा ही तू मुस्काना।

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