वेलेंटाइन कविता : उसने मुझे चूमा

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उसने मुझे चूमा
और अब मैं कोई और हू
धड़कनों में कोई और
जो मेरी नसों में धड़कता है
और वह सांसों में
घुल-मिल जाती
अब मेरी कोख
उतनी ही उदात्त
जितना मेरा हृदय
और फूलों की सांसों में
पाई जाती मेरी सांसें
यह सब उसके कारण
जो पलता कोख में मेरी
जैसे कि घास पर ओस।

अनुवाद- नरेंद्र जैन
(पहल की पुस्तिका ‘पृथ्वी का बिंब’ से साभार)

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