सुबह आई है, मुलाकात करोसुन कि आवाज लगाती है तुझे नींद से कब से जगाती है तुझे दे रही द्वार पे दस्तक कब से जिंदगी कब से बुलाती है तुझे रातभर स्वप्न सँजोने वाले नींद की बाँह में खोने वाले जाग जा धूप निकल आई है देर हो जाएगी सोने वाले देख तो ले मिजाज मौसम का किरणें चखती हैं स्वाद शबनम का क्यों न सुनता वसंत की आहट
नाद यह जिंदगी के सरगम का
सुबह आई है मुलाकात करो
फिर कुशलक्षेम जरा ज्ञात करो
गीत आने दो नया होंठों पर
ये नया दिन है, नई बात करो।