प्रदूषण के युद्ध में डटी नन्ही योद्धा

बच्चो! वह भी आपकी तरह ही छोटी है मात्र दस वर्ष की। अभी कक्षा 6 में पढ़ रही है लेकिन राम सेतु के निर्माण में योगदान देने वाली गिलहरी की तरह सतत् जुटी हुई है। उस बड़े काम में जिसके लिए चिंतित होकर जुटा हुआ है सारा संसार। जी हा! वह कार्य है पर्यावरण संरक्षण का।

हम जिस बच्ची का उल्लेख कर रहे हैं वह है राजस्थान के गाँधीनगर चित्तौड़ की रहने वाली कु. दिव्या जैन और पर्यावरण प्रदूषण से युद्ध में वह जिस मोर्चे पर डटी है वह है पोलिथीन मुक्ति अभियान।

शुरुआत कुछ ऐसे हुई कि वे अपने दादा और नाना के यहाँ कोटा गई थी गर्मी की छुट्‍टी में। वहाँ एक गाय को पोलिथीन खा लेने से तड़प-तड़प कर मरते देखा और अकेले ही इस नन्ही ने लोगों से पोलिथीका उपयोग न करने का आग्रह किया। और उन्हें कपड़े के थैले बाँटने का अभियान छेड़ दिया। आज डेढ़ साल हो चुका है समाचार पत्र और टीवी चैनल्स इसके सहायक बने, रेडियो ने उसकी आवाज को और दूर-दूर तक फैलाया। कई वरिष्ठ अधिकारियों और अनेक शालाओं के बच्चों ने शपथ पत्र भरकर पोलिथीन का प्रयोग न करने का संकल्प लिया।

अनेक सभाओं, प्रशिक्षणों, वर्गों के मंचों से दिव्या की बातें सुनी गई, पत्र लिखे और यह छोटी सी पहल एक अभियान बन गई, पत्र लिखे गए और यह छोटी सी पहल एक अभियान बन गई। आप भी लेना चाहेंगे न पोलिथीन मुक्त वातावरण बनाने की शपथ।

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