ताजिकिस्तान में महिलाओं की स्थिति बदतर

जयदीप कर्णिक

मंगलवार, 8 सितम्बर 2009 (10:58 IST)
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ताजिकिस्तान की राजधानी दुशाम्बे के सामान्य जीवन को देखकर ये अंदाज लगाना मुश्किल है कि यहाँ के समाज में महिलाओं की स्थिति इतनी खराब है।

पामीर की खूबसूरत पहाड़ियों से घिरे इस खूबसूरत देश में उतनी ही खूबसूरत महिलाएँ पूरे आत्मविश्वास से अपने काम में जुटी नजर आ जाती हैं। ऊपरी तौर पर ये महिलाएँ समाज का प्रमुख हिस्सा नजर आती हैं। बुर्के की कोई पाबंदी नहीं। भारत में लंबी मैक्सी या गाउन पहना जाता है, उसी तरह की सुंदर सिल्क या मखमल की ड्रेस यहाँ की अधिकतर महिलाएँ पहने नजर आती हैं। यह यहाँ की महिलाओं की राष्ट्रीय पोशाक है।

मुस्कराहट के पीछे का दर्द
खूबसूरत पहाड़ियों से घिरे इस खूबसूरत देश में उतनी ही खूबसूरत महिलाएँ पूरे आत्मविश्वास से अपने काम में जुटी नजर आ जाती हैं। ऊपरी तौर पर ये महिलाएँ समाज का प्रमुख हिस्सा नजर आती हैं। मुस्कराती दिखाई देने वाली इन महिलाओं के पीछे का दर्द जानकर अफसोस हुआ
फुटपाथ से लेकर मुख्य बाजार तक कहीं भी चले जाओ, अधिकांश स्थानों पर महिलाएँ ही दुकान चलाती नजर आती हैं, लेकिन दुशाम्बे में हर जगह मुस्कराती दिखाई देने वाली इन महिलाओं के पीछे का दर्द जानकर अफसोस हुआ।

यहाँ के मर्दों के दिमाग आज भी पुरानी कबीलाई मानसिकता से भरे हुए हैं। यहाँ आज भी शादी के अगले दिन चादर पर रक्त के दाग के आधार पर दुल्हन के कौमार्य का पता लगाया जाता है। परीक्षण में असफल होने पर अगले दिन सुबह लड़का तलाक दे देता है।

भारत के 250 छात्र : यहाँ के मेडिकल कॉलेज में भारत के 250 छात्र अध्ययनरत हैं। इनमें अधिकांश राजस्थान के हैं। मध्यप्रदेश के सात छात्र अभी यहाँ पढ़ रहे हैं। इनमें बड़वाह के अमित टैगर, उज्जैन के जितेन्द्र जाट और मुरैना के अमित कुशवाह भी शामिल हैं। जितेन्द्र और अमित के पिता के अपने अस्पताल हैं और वे वापस लौटकर उसी में हाथ बँटाना चाहते हैं। ये लोग यहाँ इसलिए आए हैं क्योंकि पीएमटी के मुकाबले ये इन्हें ज़्यादा आसान लगता है।

हालाँकि यहाँ की डिग्री को भारत में सीधी मान्यता नहीं है और इन्हें वहाँ प्रैक्टिस शुरू करने से पहले मेडिकल काउंसिल का एक टेस्ट देना होता है। भारत से दुशाम्बे के लिए अभी कोई सीधी उड़ान भी नहीं है और इन्हें यहाँ ऐशकाबुल या दुबई होते हुए आना पड़ता है।

बॉलीवुड कलाकार जबरदस्त मशहूर : दुशाम्बे में भी बॉलीवुड कलाकार जबरदस्त मशहूर हैं। शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय, आमिर खान, मिथुन चक्रवर्ती को तो बच्चा-बच्चा जानता है। यहाँ के स्थानीय निवासियों ने रविवार शाम को भारतीय दल के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में हिन्दी फिल्मी गानों पर शानदार प्रस्तुति दी। टीवी चैनलों पर भी हफ्ते में पाँच दिन हिन्दी फिल्में दिखाई जाती हैं।

भाषा में समानता : ताजिक भाषा के कई शब्द हिन्दी-उर्दू से मिलते हैं। जैसे ताजिक में भी अव्वल का मतलब पहला ही होता है। अगर का मतलब यदि होता है और पुस्तक के लिए किताब शब्द का उपयोग होता है। दरअसल ताजिक भाषा पर फारसी का खासा प्रभाव है और इसीलिए उर्दू के वे शब्द जो अब हिन्दी में भी आम हो गए हैं, उनमें खासी समानता दिखाई देती है।

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