मौत के करीब सरबजीत सिंह, दुआ ‍कीजिए

मंगलवार, 30 अप्रैल 2013 (01:01 IST)
लाहौर, इस्लामाबाद। पाकिस्तानी डॉक्टरों ने कहा कि कोमा में चले गए भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की हालत में कोई सुधार नहीं है और उसके बचने की संभावना बिल्कुल क्षीण है। दूसरी ओर भारत से यहां आए परिवार वालों ने उसे बेहतर इलाज के लिए भारत भेजने की मांग की है।

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* भारत ने कहा कि पाकिस्तानी हिरासत में बंद सभी भारतीय कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना पाकिस्तान सरकार की जिम्मेदारी है।

* भारत सरकार की पाकिस्तान से अपील, सरबजीतसिंह को मानवीय आधार पर भारत भेजा जाए। अब पाकिस्तान की ओर से जवाब का इंतजार है।

* भारत ने पाकिस्तान से अपील की है कि वह सरबजीत के मामले पर सहानुभूतिपूर्वक और मानवीय रुख अपनाए और उसे रिहा कर दे।

* भारत ने सरबजीतसिंह पर हमले की गहन जांच कराने और हमले के जिम्मेदार लोगों को सजा देने की मांग की है।

* पाकिस्तान के अधिकारियों ने सोमवार को मीडिया की उस खबर को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि एक चिकित्सा बोर्ड जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को उपचार के लिए बाहर भेजने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है

* पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से खबर है कि पाकिस्तानी डॉक्टरों की एक कमेटी ने फैसला किया है कि सरबजीत सिंह को ‍विदेश इलाज के लिए नहीं भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरबजीत की हालत ऐसी नहीं है कि उसे एक कमरे से दूसरे कमरे में शिफ्ट किया जाए, ऐसे में विदेश भेजना जोखिम होगा।

*पीटीआई ने जानकारी दी है कि सरबजीत सिंह को उपचार के लिए विदेश भेजे जाने पर फैसला करने के लिए पाकिस्तान ने विशेषज्ञों की समिति का गठन किया।
*पाकिस्तान में मौत की सजा पाए भारतीय कैदी सरबजीत सिंह का लाहौर के अस्पताल में उपचार कर रहे चिकित्सकों का कहना है कि उनकी हालत गम्भीर है और उनके बचने के आसार बहुत कम हैं।

* सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने भारत सरकार से अपने भाई को भारत लाने की मांग की है। दलबीर ने यह मांग लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती अपने भाई सरबजीत सिंह से मिलने के बाद की। दलबीर ने कहा,सरबजीत पाकिस्तान में कभी भी सुरक्षित नहीं रहेगा।

* भारत से यहां आए परिवार वालों ने उसे बेहतर इलाज के लिए भारत भेजने की मांग की है।

*सूत्रों के अनुसार, डॉक्टरों का कहना है कि सरबजीत की हालत में सुधार के कोई संकेत नजर नहीं आ रहे हैं। उसे दो दिन पहले सिर में गंभीर चोट लगने के बाद लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

*डॉक्टरों का मानना है कि 49 वर्षीय सरबजीत के बचने की संभावना बिल्कुल क्षीण है क्योंकि उसके सिर के अधिकांश हिस्से में जख्म हैं जिससे वह बिल्कुल बेहोश (कोमा में) है।

*भारत से यहां पहुंचने के बाद सरबजीत की बहन दलबीर कौर, पत्नी सुखप्रीत कौर और बेटियों- स्वप्नदीप एवं पूनम अस्पताल में उसे देखने पहुंचीं।

सरबजीत सिंह पर संपूर्ण जानकारी अगले पन्ने पर...


सरकार संचालित जिन्ना अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि सरबजीत की बहन, पत्नी और दोनों बेटियों को आईसीयू की खिड़की के माध्यम से मरीज को देखने की इजाजत दी गई थी। परिवार के लोगों को मरीज के निकट नहीं जाने दिया गया क्योंकि लोगों के साथ संपर्क में आना मरीज की सेहत के लिए अच्छा नहीं है।

सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने कहा, ‘सरबजीत सिंह के चेहरे पर सूजन है, उसे सरिया से पीटा गया है...वह बेहोश है, उसकी हालत बहुत गंभीर है। सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत ने पाकिस्तानी अधिकारियों से अपील की है कि उनके पति को बेहतर इलाज के लिए भारत भेजा जाए।

भारतीय उच्चायोग के अधिकारी सरबजीत को देखने आज दूसरी बार अस्पताल गए। पाकिस्तानी प्रशासन ने प्रारंभिक इनकार के बाद भारतीय राजनयिकों को सरबजीत को देखने जाने की अनुमति दे दी।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अधिकारी सरबजीत को देखने लाहौर के अस्पताल गए। उसकी हालत वैसी ही बनी हुई है।

सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को सरबजीत पर उसकी बैरक में कम से कम छह कैदियों ने हमला किया। यह बैरक कोट लखपत जेल के सबसे सुरक्षित स्थानों में शामिल है । उसके सिर पर इटों से वार किया गया। उसके चेहरे, गर्दन और धड़ पर ब्लेड तथा घी के टीन के टुकड़ों से हमला किया गया।

सूत्रों ने बताया कि डॉक्टरों को सरबजीत के सिर में तीन सेंटीमीटर से बड़ा खून का थक्का नजर आया। यह इस बात का संकेत है कि मरीज को सर्जरी की जरूरत है। अन्य सूत्रों के अनुसार डॉक्टरों का कहना है कि ग्लासगो कोमा स्केल (जीसीएस) पर सरबजीत की स्थिति पांच मापी गई है। यह स्केल व्यक्ति की केन्द्रीय तंत्रिका प्रणाली को पहुंचे नुकसान के स्तर को बताता है।

जीसीएस पर सबसे कम स्तर तीन होता है और सबसे ज्यादा स्तर 15 होता है।

सूत्रों ने बताया कि जीसीएस सिर में गंभीर चोट लगने के बाद चेतना के स्तर को बताता है और सरबजीत के मामले में यह बता रहा है कि वह गहन बेहोशी की हालत में है। अधिकारियों की ओर से गठित मेडिकल बोर्ड के लिए सरबजीत का इलाज गंभीर न्यूरोसर्जिकल चुनौती है।

मेडिकल बोर्ड ने आज सरबजीत की जांच करने के बाद कहा कि अभी इस स्थिति में मरीज की सर्जरी करना संभव नहीं है।

मेडिकल बोर्ड में स्नात्कोत्तर चिकित्सा संस्थान के प्राचार्य और न्यूरोसर्जन अंजुम हबीब वोहरा, जिन्ना अस्पताल के न्यूरो विभाग के प्रमुख जफर चौधरी और किंग एडवर्ड मेडिकल यूनिवर्सिटी के न्यूरो-फिजिशियन नईम कसूरी हैं।

सुरक्षा कारणों की वजह से जिन्ना अस्पताल में सरबजीत के लिए अलग गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) की व्यवस्था की गई है। लोगों के लिए उस क्षेत्र में जाने से मनाही है और भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।

भारत ने अपने अधिकारियों को सरबजीत को देखने अस्पताल में जाने देने के लिए आज नियमित राजनयिक पहुंच की मांग की क्योंकि पाकिस्तानी प्रशासन ने उसे देखने जाने पर रोक लगा दी थी।

नयी दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत यह भी मांग कर रहा है कि भारत-पाकिस्तान न्यायिक समिति के भारतीय सदस्यों को सरबजीत को देखने के लिए अस्पताल जाने देने की अनुमति दी जाए।

इस बीच सरबजीत सिंह पर हमले के दो मुख्य आरोपियों ने जांच अधिकारियों को बताया कि उन्होंने लाहौर में वषरें पहले हुए विस्फोटों का बदला लेने के लिए सरबजीत को जान से मारने की योजना बनाई थी।

पुलिस उप महानिरीक्षक (कारागार) मलिक मुबशिर की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार दोनों हमलावरों-आमिर आफताब और मुदस्सर ने कहा है कि वे सरबजीत से नफरत करते थे क्योंकि वह लाहौर में 1990 में हुए बम विस्फोटों का आरोपी है।

हालांकि, दोनों इस बात का संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए कि क्यों उन्हें हाल ही में सरबजीत से नफरत होने लगी और उन्होंने उसे जान से मार देने की योजना बनायी, जबकि दोनों कई साल से कोट लखपत जेल में हैं। सरबजीत को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 1990 में हुए बम धमाकों में कथित तौर पर संलिप्त रहने को लेकर दोषी ठहराया गया था। इन धमाकों में 14 लोगों की मौत हो गई थी।

सरबजीत के परिवार का कहना है कि वह अनजाने में सीमा पार चले गए थे और वह गलत पहचान का शिकार हो गए। सरबजीत की दया याचिकाओं को पाकिस्तानी न्यायालयों और पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने खारिज कर दिया था।

पीपीपी नीत पाकिस्तान सरकार ने सरबजीत की फांसी 2008 में अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी थी। (भाषा)

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