कार्बन उत्सर्जन कम करने वाला सॉफ्टवेयर

मुंबई, ऐसे समय जब दुनिया कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए विचार-विमर्श कर रही है, भारतीय विश्वविद्यालयों के पर्यावरण के लिए एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है, जो कॉलेज लैबोरेट्ररी में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सहायक होगा।

यह वर्चुअल लैब मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर ‘कोलामा’ छात्रों को कॉलेज की लैब में वायरस मुक्त वातावरण में काम करने की सुविधा भी मुहैया कराएगा। पिछले सप्ताहांत तीन दिन के होमी भाभा शताब्दी समारोह के मौके पर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) में यह सॉफ्वेयर पेश किया गया।

इस उत्पाद का विकास पुणे की निजी कंपनी कोरियोलिस टेक्नोलॉजीज ने टीआईएफआर में स्कूल आफ टेक्नोलॉजी एंड कंप्यूटर साइंस के साथ किया है।

सॉफ्टवेयर के प्रदर्शन के बाद कोरियोलिस ने निदेशक एवं सीईओ बसंत राजन ने कहा, ‘कोलोमा से विश्वविद्यालय और कॉलेजों की कंप्यूटर लैब में कार्बन के उत्सर्जन में उल्लेखनीय कटौती में मदद मिलेगी।’ वर्चुअलाइजेशन से मतलब कई ऐसी तकनीकों से है जिससे कंप्यूटर हार्डवेयर का इस्तेमाल कई लोगों द्वारा पारदर्शी तरीके से एक साथ किया जा सकता है। इससे इसका अधिकतम तथा बेहतर इस्तेमाल हो सकता है तथा उर्जा की बर्बादी कम होती है।

उद्योगपति और शोधकर्ता राजन ने कहा कि इससे छात्र वायरस मुक्त वातावरण में काम कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि कोलामा से विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं को वर्चुअलाइजेशन का फायदा उठाने में मदद मिलेगी। वे पेटेंट के लिए लंबित टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बिना किसी अड़चनों के कर सकेंगे।

टीआईएफआर की फैकल्टी आफ टेक्नोलॉजी एंड कंप्यूटर साइंस के डीन प्रोफेसर आर के श्यामसुंदर ने कहा कि इस प्रणाली ने प्रमुख इंजीनियरिंग कॉलेज में सफलता के साथ परीक्षण पूरा किया है। उन्होंने कहा कि इसका पर्यावरण के लिए होने वाला फायदा काफी उल्लेखनीय है। यह न केवल बिजली की खपत को कम करता है, बल्कि इससे इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट में भी कमी आती है।

श्यामसुंदर ने कहा, ‘300 कंप्यूटरों वाला कोई संस्थान इससे इतनी बिजली बचा सकता है, जिससे हर साल 600 से 700 घरों को रोशन किया जा सकता है।’ (भाषा)

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