रिश्ते को नई ऊर्जा देगा करवा का चांद

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त्योहार, पर्व, व्रत और पूजा-पाठ... आस्था और भावना से जुड़े ये सारे निमित्त असल में तब खुद-ब-खुद होते चले जाते हैं, जब आप किसी से दिल से जुड़े होते हैं। फिर अगर ये सब उसके लिए हों, जिसके साथ आपने अपनी खुशियां तो सही खुद का भी साझा किया हो, तो इन सबका महत्व और भी बढ़ जाता है।

चांद की रोशनी जब छत पर आएगी तो साथ भीगने में मजा आएगा...। वैसे भी रोज तो हम कहां ऐसा कर पाते हैं...। रोज तो उस रोशनी को ही कहां देख पाते हैं... कुछ दिन स्याह बादलों का दुपट्टा उसे छुपाकर रखता है तो कुछ दिन तुम्हारी-मेरी जिंदगी का गणित हमें उलझाए रखता है...।

वैसे रोशनी के उस समंदर में भीगने के लिए सालभर का ये इंतजार खलता नहीं... भीगने के बाद फिर साल भर के लिए दिल में कैद रह जाती है वो रोशनी और उसकी छुअन से मन में कई-कई जुगनू पैदा हो जाते हैं, जिनकी चमक तुम्हारे और मेरे बीच बनी रहती है...।

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इस बार फिर जब आएगा चांद, साथ लेकर वो रोशनी तो हम-तुम फिर से खड़े होंगे... प्रतीक्षारत उस रोशनी में भीगने को आतुर...। रोशनी जो मेरे-तुम्हारे रिश्ते को नई ऊर्जा दे जाती है।

करवा चौथ ऐसा ही एक पर्व है। यहां दिन भर भूखे रहकर उपवास करने तथा शाम को पति के हाथों जल पीकर उपवास खोलने से लेकर छलनी से चांद देखने, सजने-संवरने तथा हंसी-ठिठोली करने के पीछे तमाम आस्थाओं और भावनाओं के साथ ही खुद के लिए कुछ समय निकालने का मकसद भी रहता है।

दाम्पत्य से जुड़े मन के गहरे तार और एक-दूसरे के लिए दिल में गहरे प्रेम को भी अलग शब्दों में परिभाषित कर जाते हैं ऐसे अवसर। कहीं पतियों के मन में भी इस बात का अहसास रहता है कि हमारी लंबी उम्र और सफलता के लिए पत्नियों ने व्रत रखा है। कुछ पुरुष अपनी इस भावना को प्रदर्शित कर देते हैं और कुछ मन में ही रखते हैं, लेकिन यह भावना उनके मन में प्रेम के प्रवाह को बनाए रखती है।

बदलते समय के साथ आज परंपराओं और त्योहारों के स्वरूप में भी परिवर्तन आया है। अब करवा चौथ भावना के अलावा रचनात्मकता, कुछ-कुछ प्रदर्शन और आधुनिकता का भी पर्याय बन चुका है।

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