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अज़ीज़ अंसारी
लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
ज़िन्दगी शमअ की सूरत हो खुदाया मेरी
दूर दुनिया का मेरे दम से अँधेरा हो जाए
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाए
हो मेरे दम से युँही मेरे वतन की ज़ीनत
जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत
ज़िन्दगी हो मेरी परवाने की सूरत यारब
इल्म की शमअ से हो मुझको मोहब्बत यारब
हो मेरा काम ग़रीबों की हिमायत करना
दर्द मंदों से ज़ईफ़ों से मोहब्बत करना
मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको
नेक जो राह हो उस राह पे लाना मुझको