इंजीनियर क्यों करते हैं कम सैलरी पर काम?

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देश में इंजीनियरिंग कॉलेजों की भरमार है। अपने इंजीनियरिंग संस्थान में एडमिशन देने की होड़ में कई बार कॉलेज कम योग्यता वाले छात्रों को भी अपने यहां एडमिशन दे देते हैं।

कई बार यह देखा जाता है कि इंजीनियर कम सैलरी का रोना रोते रहते हैं। आखिर क्या कारण है कि बहुत से इंजीनियर कम सैलरी पाते हैं।

डिग्री और योग्यता के साथ भाषा का ज्ञान भी आवश्यक है। रोजगार मापने वाली कंपनी द्वारा किए गए एक सर्वे में भारतीय इंजीनियरों की अंग्रेजी भाषा पर कच्ची पकड़ उजागर हो गई है। जानकर ताज्जुब होगा कि दस में चार इस विदेशी भाषा को पूरी तरह नहीं समझ पाते।

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अंग्रेजी के छोटे-छोटे वाक्य लिखने में भी उनसे चूक होती है। किसी तरह उनका रोजमर्रा का काम निकलता है। एक रोचक सर्वे में यह बात सामने आई है।

अंग्रेजी भाषा की समझ पर देश के 250 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 55 हजार छात्रों पर यह सर्वे किया गया। रोजगार मापने वाली कंपनी एसपायरिंग माइंड्‍स की ओर से किए गए इस सर्वे के मुताबिक भारत में इंजीनियरिंग के छात्रों का अंग्रेजी का स्तर बेहद खराब है। 25 प्रतिशत तो अपने पाठ्‍यक्रम तक को नहीं समझ पाते। 36 प्रतिशत इंजीनियरिंग ग्रेजुएट आधिकारिक रिपोर्टों को नहीं पढ़ पाते।

उन्हें समझकर सूचनाएं निकालना भी इनके बस का नहीं होता। यह रिपोर्ट अपने आप में इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अंग्रेजी भाषा का देश में बढ़ता रुतबा छुपा नहीं है। नौकरी हासिल करने से लेकर पदोन्नति तक में इसकी भूमिका रहती है। नियोक्ता साक्षात्कार में उम्मीदवार का चयन करने में अंग्रेजी पर उसकी पकड़ को जरूर ध्यान में रखते हैं।

वाक्य बनाने में आती है कठिनाई : सर्वे में पाया गया कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे केवल 57 प्रश ही व्याकरण की दृष्टि से सही अंग्रेजी वाक्य बना पाते हैं। 48 प्रतिशत इस भाषा के थोड़े जटिल शब्दों को समझ लेते हैं। खास बात यह है कि औसत से बेहतर अंग्रेजी जानने वाले भीड़ से अलग हो जाते हैं। उन्हें अपने ऐसे सहपाठियों की तुलना में 30 से 50 प्रतिशत तक अधिक वेतन मिलता है जिनकी अंग्रेजी पर कम पकड़ है।

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