नवगठित इंडियन क्रिकेट लीग(आईसीएल) द्वारा सोमवार को 50 से अधिक खिलाडियों के अपने साथ जुड़ने की घोषणा के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की मंगलवार को यहाँ होने वाली बैठक में उस पर अपना रवैया पूरी तरह स्पष्ट करने का खासा दबाव होगा।
आईसीएल ने हालाँकि कहा है कि उसका भारतीय क्रिकेट जगत पर वर्चस्व स्थापित करने का कोई इरादा नहीं है और वह खुद को युवा प्रतिभाओं को तराशने और उन्हें खेलने के अवसर मुहैया कराने तक सीमित रहना चाहती है, लेकिन बीसीसीआई लीग के गठन को अपने लिए चुनौती मान रही है।
बीसीसीआई कार्यसमिति की मंगलवार को जब यहाँ बैठक शुरू होगी तो उसमें सबसे बड़ा एजेंडा आईसीएल से उत्पन्न चुनौती से निपटने की कार्ययोजना बनाने पर ही होगा। इस बैठक में बोर्ड अध्यक्ष शरद पवार समेत तमाम बोर्ड अधिकारी मौजूद रहेंगे। इसके अलावा बीसीसीआई की दो विशेष सालाना बैठकें भी होनी हैं 1
बीसीसीआई के अब तक के रवैये से लगता है कि वह लीग के साथ जारी संघर्ष को किसी मुकाम तक पहुँचाने की मुद्रा अपना सकता है। हालाँकि बीच में ऐसी खबरें आई थीं कि लीग के प्रति सख्त रवैया अपनाए जाने के लोकर बोर्ड अधिकारियों के बीच आमराय नहीं है।
बोर्ड के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि वह पूर्व कप्तान कपिल देव के आईसीएल से जुड़ने की घोषणा पर किस तरह का रवैया अपनाता है। कपिल आईसीएल से जुड़ने के बाद भी बोर्ड की राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के निदेशक बने हुए हैं।
इसके अलावा बोर्ड को यह भी तय करना होगा कि आईसीएल से जुड़ने की घोषणा करने वाले भारतीय खिलाड़ियों से किस तरह निपटना है। पहले बोर्ड ने कहा था कि वह लीग में खेलने वाले भारतीय खिलाड़ियों को आजीवन प्रतिबंधित कर देगा और वे कभी भी 'टीम इंडिया' का हिस्सा नहीं बन पाएँगे।
इतना तो यह है कि बीसीसीआई कार्यसमिति की यह बैठक काफी हंगामेदार होगी और इसमें लिए जाने वाले फैसले भारतीय क्रिकेट जगत की दशा एवं दिशा को प्रभावित करेंगे। इससे यह भी तय हो जाएगा कि भारत में क्रिकेट का असली चेहरा बीसीसीआई ही बना रहेगा अथवा आईसीएल उसकी जगह ले लेगा।