प्रतिभाशाली बल्लेबाजों की मौजूदगी के कारण सुरेश रैना को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रिजर्व बेंच पर बैठने पर मजबूर होना पड़ा लेकिन बाएँ हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा कि मध्यक्रम की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा ने उन्हें भारतीय टीम में स्थान वापस पाने के लिए मानसिक रूप से मजबूत बना दिया है।
इस 21 वर्षीय खिलाड़ी को पूर्व कोच ग्रेग चैपल काफी प्रतिभाशाली मानते थे। रैना ने कहा कि टीम ने बतौर खिलाड़ी उन्हें परिपक्व होने में काफी मदद की है और अब वह इस मौका हथियाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। त्रिकोणीय श्रृंखला में एक भी मैच नहीं खेलने से वह हताश नहीं है और वह अपनी बारी का इतंजार करने के तैयार हैं।
रैना ने पीटीआई से साक्षात्कार में कहा टीम में काफी प्रतिभाशाली बल्लेबाज हैं। कुछ अपने मौके का इंतजार कर रहे हैं। यह टीम के लिए अच्छा है। इससे पता चलता है कि भारतीय क्रिकेट सही दिशा की ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा यह प्रतिस्पर्धा या फिर इस स्थान के लिए काफी दावेदारों की मौजूदगी का मामला नहीं है क्योंकि जिसे भी प्रदर्शन का मौका मिलेगा वह इसे दोनों हाथों से हथियाने की कोशिश करेगा। टीम में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है और ईमानदारी से कहूँतो यह टीम के लिए अच्छा है।
उत्तर प्रदेश के इस खिलाड़ी ने जनवरी 2007 में भारतीय टीम से बाहर किये जाने के बाद से अपनी बल्लेबाजी पर काफी मेहनत की है। रैना ने कहा यह एक निराशाजनक दौर था। मैंने अपने बल्लेबाजी पर काम किया है। मेरी रणनीति अब कड़ा क्रिकेट खेलने सकारात्मक सोचने की है। इसके अलावा मैं सुनिश्चित करना चाहता हूँकि मैं तरोताजा होकर देश के लिए खेलने को फिट हूँ।
वर्ष 2005 में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरूआत करने वाले रैना ने 36 वनडे खेले हैं लेकिन उन्हें टेस्ट में अपना आगाज करना बाकी है। उन्होंने कहा कि मध्यक्रम में निचले स्थान पर आने से उनके लिए रन बनाना मुश्किल होता है जिससे अंतत: उन्हें टीम से अपना स्थान गँवाना पड़ा।
उन्होंने कहा मुझे लगता है कि जब भी मुझे मौका मिला है पारी के अंतिम समय करीब 40वें ओवर के करीब में आने के बावजूद भी मैंने अच्छा किया है। यहाँ रन बनाना कठिन होता है लेकिन तब भी मैंने 35 से 40 रनों का योगदान किया है। रैना ने कहा लेकिन इस चरण में आपके पास शाट लगाने का मौका नहीं होता इसलिए कभी कभार आप असफल हो जाते हो।
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सचिन तेंडुलकर जैसे खिलाड़ी के साथ ड्रेसिंग रूप साझा करने के बारे में उन्होंने कहा यह काफी बढ़िया दौरा था क्योंकि भारत ने पहली बार आस्ट्रेलिया को उसकी मांद में शिकस्त देकर त्रिकोणीय श्रृंखला जीती थी। मैंने इस श्रृंखला से काफी कुछ सीखा।
उन्होंने कहा मुझे सचिन युवराजसिंह और गैरी कर्स्टन से भी बातचीत का मौका मिला। यहाँ तक कप्तान महेंद्रसिंह धोनी भी मुझे सलाह देते रहते थे।