सचिन तेंडुलकर: कमजोर के खिलाफ महाशतक के क्या मायने?

शुक्रवार, 16 मार्च 2012 (19:47 IST)
मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर ने आखिर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100वां शतक लगा ही दिया। बहुत इंतजार के बाद सचिन को यह उपलब्धि मिली। सचिन महान बल्लेबाज हैं, लेकिन उनकी महानता और भी बढ़ जाती जब वे अपना महाशतक कमजोर बांग्लादेश के बजाय किसी स्तरीय टीम के खिलाफ बनाते। कमजोर बांग्लादेश के अनुभवहीन गेंदबाजों के सामने इस महान उपलब्धि का महत्व कम नहीं हो जाता?

PTI
ऐसा नहीं है कि सचिन के इस शतक की कीमत नहीं है। सचिन ने भारतीय क्रिकेट के लिए जो किया है, उस पर भविष्य में सिर्फ बातें होंगी, उसकी बराबरी करने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता, लेकिन जब 'क्रिकेट के भगवान' मास्टर-ब्लास्टर, क्रिकेट जीनियस, महानतम बल्लेबाज के उपनाम से पुकारे जाने वाले सचिन के होते हुए भारतीय टीम इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर बुरी तरह नाकाम रही और एक के बाद एक आठ टेस्ट में करारी हार सहे तो फिर 'क्रिकेभगवान' के टीमेहोने या न होने से क्या फर्क पड़ता है?

सचिन तब कहां थे जब भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे पर किसी भी फॉर्मेट में एक भी मैच नहीं जीत की। सचिन का बल्ला तब क्यों खामोश रहा जब भारतीय खिलाड़ियों ने एक के बाद एक लगातार चार टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलिया के सामने घुटने टेक दिए। क्या सचिन ने बांग्लादेश के खिलाफ शतक बनाकर सचमुच कोई बहुत बड़ा कारनाम किया है?

बात तो तब होती जब सचिन इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया में यह कारनामा करते। कमजोर और लुटी पिटी बांग्लादेश टीम का शिकार तो कोई भी कर सकता है, लेकिन स्तरीय टीम के खिलाफ रन बनाने में पसीना आ जाता है।

यहां सवाल सचिन की काबिलियत पर नहीं बल्कि महाशतक जैसी अद्वितीय उपलब्धि हासिल के मौके पर है। उपमहाद्वीप के बजाय सचिन अगर यह पारी इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया में खेलते तो कुछ और बात होती।

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