गाँवों में सुनाई देगा ऑर्डर...ऑर्डर

बुधवार, 22 अप्रैल 2009 (10:23 IST)
-वैभव श्रीधर
भोपाल। यदि आपको गाँव की चौपाल या किसी पेड़ की छाँव में ऑर्डर...ऑर्डर की आवाज सुनाई दे या कोई अदालत लगी दिखाई दे तो चौंकिएगा नहीं। चुनाव के बाद प्रदेश में ऐसे नजारे आपको जगह-जगह दिखाई देंगे।

दरअसल राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) की शिकायतों और अधिकार हनन के मामलों को सुनने और उनका मौके पर ही निदान करने के लिए अब लोक अदालतों का सहारा लिया जा रहा है।

प्रदेश के सभी 50 जिलों में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना चल रही है। 52 लाख से अधिक जॉब कार्डधारी परिवारों को इसके जरिए रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। लेकिन काम न मिलने, भुगतान में देरी, बेरोजगारी भत्ता देने में आनाकानी करने जैसी शिकायतें आज भी बनी हुई हैं। हर माह 3-4 हजार शिकायतें सामने आती हैं।

योजना के दायरे और महत्व को देखते हुए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने इस काम को हाथ में लिया है। मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव सुधीर कुमार पालो के अनुसार यह कार्रवाई दो स्तरों पर की जाएगी। पहला स्तर विधिक साक्षरता शिविर का होगा। इसमें ग्रामीणों को योजना से जुड़े उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाएगा। दूसरे स्तर पर लोक अदालतें लगाई जाएँगी। इसमें शिकायतों का निराकरण किया जाएगा। हर जिले में दस शिविर और दस लोक अदालतें लगेंगी।

शिविर में ग्रामीणों को रोजगार माँगने का तरीका, कितने दिन में रोजगार मिलना चाहिए, मजदूरी क्या मिलेगी, कब भुगतान होगा, बैंक या डाकघर में खाते कौन खुलवाएगा, रोजगार नहीं देने पर भत्ता कैसे मिलेगा जैसी छोटी-बड़ी हर जानकारी दी जाएगी। जबकि लोक अदालतों में शिकायतों का निराकरण होगा।

कहाँ होगा आयोजन : इन लोक अदालतों का आयोजन उन्हीं इलाकों में होगा, जहाँ यह योजना संचालित हो रही है। स्थान और तारीख के बारे में फैसला जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष करेंगे।

कैसे होगा : राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण इस काम के लिए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को फंड उपलब्ध कराएगा। इससे अदालत और शिविर से जुड़े संसाधनों स्टेशनरी, प्रचार-प्रसार, टेंट, माइक की व्यवस्था की जाएगी।

कौन करेगा : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष संबंधित क्षेत्र के मजिस्ट्रेट के माध्यम से इस कार्रवाई को अंजाम देंगे। एक सदस्य की नियुक्ति भी अध्यक्ष ही करेंगे। यह सदस्य वकील या सामाजिक क्षेत्र का प्रतिष्ठित व्यक्ति हो सकता है।

क्यों पड़ी जरूरत : इस योजना के संबंध में ग्रामीणों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं है। इस कारण उनके अधिकारों का हनन तो होता ही है, लालफीताशाही भी पैर पसारती है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में अक्टूबर 2008 में एक सम्मेलन में यह विचार सामने आया था। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री भी मौजूद थे।

विचार यह था कि ग्रामीणों को उनके अधिकारों के प्रति सचेत करने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण पहल करे। इसी तारतम्य में लोक अदालत और विधिक साक्षरता शिविर लगाने का फैसला किया गया।

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