जब परछाई लुप्त हो जाती है...

बुधवार, 20 जून 2012 (21:02 IST)
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मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में मोक्षदायिनी क्षिप्रा किनारे एक ऐसा मंदिर है, जहां प्रतिवर्ष 21 जून कुछ समय के लिए परछाई विहीन हो जाता है।

पौराणिक नगरी उज्जैन से मध्य देशांतर रेखा कर्क रेखा गुजरती है और इस रेखा के नीचे प्राचीन कर्कराज नाम से मंदिर स्थापित है। प्रतिवर्ष 21 जून को उत्तरी गोलार्ध पर सूर्य कर्क रेखा में लम्बवत स्थिति में आते हैं, उस दौरान कर्कराज मंदिर की कुछ समय के लिए परछाई लुप्त हो जाती है।

खगोलीय घटना के तहत सौरमंडल का मुखिया 'सूर्य' परिभ्रमण के पथ के दौरान जब 21 जून को दोपहर ठीक 12 बजे एकदम लम्बवत कर्करेखा पर होगा, लेकिन कालगणना की नगरी उज्जैन में यह स्थिति 12 बजकर 28 मिनट पर होती है। इसी दिन भारत सहित उत्तरी गोलार्ध के परिक्षेत्र में आने वाले देशों में सबसे बड़ा दिन और रात सबसे छोटी होती है।

शासकीय जीवाजीराव वैधशाला के अधीक्षक राजेन्द्र प्रसाद गुप्त ने इस खगोलीय घटना के संबंध में बताया कि प्रतिवर्ष 21 जून को सूर्य उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा पर आकर लम्बवत स्थिति में आ जाता है, जिससे उसकी परछाई सीधी पड़ती है। इस तारीख की दिन साढ़े तेरह घंटे का तथा रात साढ़े दस घंटे की होती है।

इस खगोलीय घटना के तहत स्थानीय समय 12 बजे से सूर्य की परछाई शून्य हो जाती है, लेकिन उज्जैन में स्थानीय समयानुसार 12 बजकर 28 मिनट की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इसी दिन से सूर्य की गति दक्षिण की ओर होने लगती है, जिसे सूर्य का दक्षिणायन होना कहा जाता है। इसके बाद धीरे-धीरे दिन छोटे होने लगते है और प्रतिवर्ष 23 जून को दिन-रात बराबर हो जाते हैं।

उन्होंने बताया कि यदि मौसम साफ रहा तो गुरुवार को इस खगोलीय घटना को प्राचीन वैधशाला में स्थापित शंकु यंत्र के माध्यम से दिखाने की व्यवस्था की गई है। (वार्ता)

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