दिल्ली गैंगरेप पीड़िता के परिजन पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

शनिवार, 30 नवंबर 2013 (17:23 IST)
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नई दिल्ली। राजधानी में पिछले साल 16 दिसंबर को सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की के परिजनों ने किशोर आरोपी पर फौजदारी अदालत में मुकदमा चलाने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। इन परिजनों ने न्यायालय से वह कानून निरस्त करने का अनुरोध किया है जिसके तहत किशोर पर आपराधिक अदालत में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

राजधानी में 23 वर्षीय लड़की से सामूहिक बलात्कार की वारदात में शामिल इस किशोर की उम्र 18 साल से 6 महीने कम थी और इस वजह से किशोर न्याय कानून के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद उसे अधिकतम 3 साल की ही कैद की सजा मिल सकी है।

पीड़ित के परिजनों ने कहा था कि किशोर के बारे में किशोर न्याय बोर्ड का 31 अगस्त का फैसला स्वीकार्य नहीं है। अब परिजनों ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करके किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) कानून, 2000 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। परिजनों का कहना है कि इस तरह की राहत के लिए कोई अन्य मंच उपलब्ध नहीं है।

पीड़ित के पिता बद्रीनाथ सिंह और उनकी पत्नी आशा देवी ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) कानून, 2000 के उस प्रावधान को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है जिसके तहत भारतीय दंड संहिता के दायरे में आने वाले अपराधों के लिए किशोर अपराधी पर फौजदारी मामलों की अदालत में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।

वकील अमन हिंगोरानी के माध्यम से दायर याचिका में अपराध की गंभीरता और दूसरे पहलुओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इस अपराध के लिए किशोर पर फौजदारी मामलों की अदालत में ही मुकदमा चलाकर उसे दंडित किया जाना चाहिए।

याचिका में इस प्रकरण में निचली अदालत के फैसले का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इसमें 4 अभियुक्तों को दोषी ठहराते हुए उन्हें मौत की सजा दी गई है। पीड़ित के परिजन चाहते हैं कि अब वयस्क हो चुके इस किशोर पर इसी तरह मुकदमा चलाया जाए। (भाषा)

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