पहले सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्रों में हों चुनाव'

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नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारियों में गृह मंत्रालय लगा हुआ है। मंत्रालय चुनाव की तैयारियों को लेकर चितिंत है इसलिए गृह मंत्रालय ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर कहा है कि आयोग चुनाव कराने की अपनी योजना में कानून-व्यवस्था की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों पर सबसे पहले ध्यान दे।

मंत्रालय का मानना है कि पहले संवेदनशील इलाकों में चुनाव करा लेने से सुरक्षा बल भी राहत की सांस ले सकेंगे और उनके सिर पर से एक बड़ा बोझ कम हो जाएगा।

चुनाव के दौरान कानून-व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर देश के नौ राज्यों के 79 जिलों को बहुत संवेदनशील रेखांकित किया है और इनमें से भी 33 ऐसे हैं जिन्हें अत्यधिक संवेदनशील होने की श्रेणी में रखा गया है।

मेल टुडे में छपी एक खबर के मुताबिक चुनावों में दो लाख से अधिक अर्द्धसैनिक जवानों को तैनात किया जाएगा। जानकार सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्रालय ने जिन नौ राज्यों को संवेदनशील करार दिया है, उनमें सभी ऐसे ही जिनमें नक्सली समस्या चरम पर है।

सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मैदानी स्थितियों और पिछले अनुभवों को देखते हुए नक्सली समस्या से ग्रस्त प्रदेशों के अलावा वे प्रदेश भी हैं जिनमें जम्मू कश्मीर और उत्तर पूर्व के वे राज्य शामिल हैं जिनमें उग्रवाद परम्परागत तौर पर फैला हुआ है।

इस आशय का चुनाव आयोग से आग्रह किया गया है लेकिन उसे सुरक्षा बलों की तैनाती और उन्हें वहां से दूसरे स्थान पर ले जाने से जुड़ी समस्याओं पर भी विचार करना है। चुनाव अधिकारियों के सामने इस दृष्टि से अप्रैल और मई की शुरुआत सबसे उचित है। इस दौरान तीज-त्योंहारों, सुरक्षा बलों के लिए ट्रेनों की उपलब्धता और ट्रांस्फर, पोस्टिंग्स जैसी समस्याओं पर भी विचार किया जा रहा है।

हाल ही में कराए गए विधान सभा चुनावों के अनुभव से सबक लेते हुए गृह मंत्रालय ने संवेदनशील क्षेत्रों को तीन तरह के इलाकों में बांटा है। इनमें से जो चुनाव क्षेत्र 'ए' प्रकार के क्षेत्रों में वे इलाके शामिल होंगे जोकि सर्वाधिक संवेदनशील है और 'सी' के अंतर्गत वे इलाके आएंगे जोकि सबसे कम संवेदनशील होंगे।

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