पुराणों के अनुसार अक्षय तृतीया पर्व के संबंध में श्रीकृष्ण ने कहा है कि यह तिथि परम पुण्यमय है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम, स्वाध्याय, पितृ-तर्पण तथा दान आदि करने वाला महाभाग अक्षय पुण्यफल का भागी होता है।
क्या करें अक्षय तृतीया पर्व के दिन..
* इस दिन समुद्र या गंगा स्नान करना चाहिए।
* प्रातः पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, फल तथा वस्त्र का दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देनी चाहिए।
* ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
* इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए।
* आज के दिन नवीन वस्त्र, शस्त्र, आभूषणादि बनवाना या धारण करना चाहिए।
* नवीन स्थान, संस्था, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन भी आज ही करना चाहिए।
शास्त्रों में अक्षय तृतीया
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* इस दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है।
* इसी दिन श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं।
* नर-नारायण ने भी इसी दिन अवतार लिया था।
* श्री परशुरामजी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था।
* हयग्रीव का अवतार भी इसी दिन हुआ था।
* वृंदावन के श्री बांकेबिहारीजी के मंदिर में केवल इसी दिन श्रीविग्रह के चरण-दर्शन होते हैं अन्यथा पूरे वर्ष वस्त्रों से ढंके रहते हैं।
अक्षय तृतीया का माहात्म्य
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* जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान करता है, उसे पापों से मुक्ति मिलती है।
* इस दिन परशुरामजी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है।
* शुभ व पूजनीय कार्य इस दिन होते हैं, जिनसे प्राणियों (मनुष्यों) का जीवन धन्य हो जाता है।
* श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि यह तिथि परम पुण्यमय है। इस दिन दोपहर से पूर्व स्नान, जप, तप, होम, स्वाध्याय, पितृ-तर्पण तथा दान आदि करने वाला महाभाग अक्षय पुण्यफल का भागी होता है।