भगवान विष्णु के 24 अवतार

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भारत भूमि अवतारों, संतों और ऋषि-मुनियों की जन्म, कर्म एवं तपस्थली है, इसीलिए इस देश के कण-कण में धर्म और अध्यात्म की सत्ता आज भी कायम है। कलियुग में चाहे जितने दुष्प्रभाव आए, लेकिन भारतीय धर्म-संस्कृति की पताका सदैव फहराती रहती है। भगवान श्रीकृष्ण कोई साधारण व्यक्ति नहीं, समूचे ब्रह्माण्ड को अपने मुँह में समा लेने वाले अवतार हैं।

भगवान कृष्ण का अवतार धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए हुआ है। भगवान राम और कृष्ण तो इस देश के प्राणतत्व हैं, इनके बिना भागवत, भारत भक्ति और भक्त की कल्पना भी संभव नहीं है। भगवान कृष्ण का चरित्र पूरे विश्व को ज्ञान देने वाला चरित्र माना जाता है। कृष्ण सा सखा यदि जीवन में मिल जाए तो जीवन का उद्देश्य पूर्ण होता है। भगवान कृष्ण ने गोपियों को शरीररूपी इन्द्रियाँ माना है। गौसेवा, मातृ सेवा और मातृभूमि की सेवा स्वर्ग से भी महान है।

पुरुषोत्तम मास के उपलक्ष्य चल रहे कथा आयोजन के दौरान पं. तिवारी महाराज ने कहा कि संसार की सारी समस्याएँ भय के कारण ही निर्मित होती हैं। भय की समाप्ति मनुष्य अपने जीवन में भगवान से जुड़कर कर सकता है। हमारे जीवन में ज्ञान भक्ति ही मनुष्य का कल्याण करती है। भागवत व्यक्ति के सोए हुए भाग्य को बनाता है। भागवत भय से मुक्ति भी दिलाती है।

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सनातन धर्म में भगवान विष्णु के 24 अवतार हुए हैं। जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं। तत्ववेत्ताओं के भी 24 तत्व हैं। सभी धर्म एवं पंथ एक हैं और समान रूप से ज्ञान, सत्य एवं परोपकार का संदेश देते हैं। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय महामंत्र के जाप भी से सभी प्राणियों के कष्ट दूर होकर उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

एक बार वामन भगवान राजा बली के पास तीन पग भूमि माँगने गए परंतु बली ने अहंकारवश भगवान से और माँगने को कहा। जब भगवान ने विराट रूप बनाकर दो पग में ही संपूर्ण ब्रह्माण्ड नाप लिया तब राजा बली को ज्ञान हुआ कि उसका अहंकार झूठा था।

ऐसी कई बातें मनुष्य को मोक्ष की ओर जाने के लिए प्रेरित करते हैं। अधिक मास के दौरान की गई भगवान विष्णु की आराधना से कोई भी काम नामुमकिन नहीं है। भगवान विष्णु अपने भक्तों की समय-समय पर परीक्षा लेकर उन्हें इस बात का भी एहसास कराते है कि लोभ, माया को छोड़कर मनुष्य को धर्म में अपना चित्त लगाकर अपना मानव जन्म सुधारना चाहिए।

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