संगीत को ईश्वर मानने वाले प्रख्यात सरोद कलाकार उस्ताद अमजद अली खान को कला एवं संगीत की दुनिया में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए यहाँ प्रतिष्ठित सरस्वती पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
शहर के कैलाश मट्ट ट्रस्ट ने सरस्वती पुरस्कार की स्थापना की है। ट्रस्ट के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी संविदानंद सरस्वती ने कल रात समारोह में अमजद अली खान को यह पुरस्कार प्रदान किया।
खान ने कहा संगीत मेरा भगवान है, संगीत साक्षात ईश्वर तक पहुँचने का माध्यम है और सरस्वती सम्मान पा कर मैं आनंदित हूँ। 64 वर्षीय खान को इस साल के ग्रैमी अवॉर्ड के लिए भी नामांकित किया गया है।
संगीत और समाज में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए यह पुरस्कार कुल 14 दिग्गजों को दिया गया। इस पुरस्कार के तहत प्रत्येक को 51,000 हजार रुपए, एक प्रशस्ति पत्र और एक स्मारिका दी गई।
इन लोगों में पर्वतारोही स्वामी सुंदरानंद, वैष्णो देवी मंदिर के प्रमुख अमीरचंद, भास्कर समूह के अध्यक्ष रमेश अग्रवाल, शास्त्रीय नृत्यांगना गीता चंद्रन, व्यवसायी नरेश सभरवाल, तबला वादक पंडित सुरेश तलवलकर और इतिहासकार बाबासाहेब पुरंदरे शामिल हैं।
शास्त्रीय संगीतकारों में से एक खान ने 1958 में बारह साल की उम्र में अपनी पहली एकल प्रस्तुति दी थी। उन्हें सरोद वादन की एक अनूठी शैली विकसित करने का भी श्रेय है।
उन्हें 1991 में पद्मभूषण, 1989 में संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड और तानसेन अवॉर्ड, 1975 में पद्मश्री और 1970 में यूनेस्को का इंटरनेशनल म्यूजिक फोरम अवॉर्ड दिया गया था। (भाषा)