चुनाव आयोग के आदेश के एक दिन बाद भी राजधानी लखनऊ में बसपा मुखिया एवं प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती तथा सत्तारुढ़ दल के चुनाव चिन्ह हाथियों की मूर्तियों को परदे में ढकने का काम शुरु नहीं हो पाया है। इस बारे में संबंधित अधिकारियों का दावा है कि उन्हें इस संबंध में आयोग से अभी कोई आदेश नहीं मिला है।
राजधानी लखनऊ में इन मूर्तियों के ढकने का काम इनका रखरखाव करने वाले लखनऊ विकास प्राधिकरण आदि संस्थाओं के जरिए किया जाने वाला है, मगर इसके वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘फिलहाल हमे इस संबंध में कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है और जैसे ही आदेश मिलता है उस पर अमल किया जाएगा।’
इस बीच लखनऊ के जिलाधिकारी एवं जिला निर्वाचन अधिकारी अनिल कुमार सागर ने बताया है कि अभी तक उनके कार्यालय को चुनाव आयोग से इस संबंध में कोई औपचारिक आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।
उल्लेखनीय है कि उत्तरप्रदेश में विधानसभा के चुनाव 4 फरवरी से शुरु होकर सात चरणों में 28 फरवरी तक चलने वाला है। प्रदेश की राजधानी एवं अन्य भागों में लगायी गई बसपा मुखिया मायावती और उनके दल के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियां लगे होने के बारे में विपक्षी दलों की आपत्तियों को देखते हुए चुनाव आयोग ने चुनाव पूरा हो जाने तक इन मूर्तियों को परदे में ढकने के आदेश दिए है।
इसी बीत मूर्तियों को ढकने को लेकर नई राजनीति शुरु हो गई। कहा जा रहा है कि हाथियों को ढकने के विवाद से सीधे मायावती को लाभ पहुंचेगा क्योंकि पूरे उत्तरप्रदेश में हाथी ही इस समय चर्चा का विषय बने हुए हैं।
बसपा ने इस मामले में पलटवार करते हुए कहा कि भविष्य में दिल्ली से लेकर पूरे देश में 'कमल' को भी ढकना होगा क्योंकि यह भाजपा का चुनाव चिन्ह है। इसके बाद आपको सपा की साइकिल पर भी रोक लगानी पड़ेगी क्योंकि यही पार्टी का चुनाव चिन्ह है।
हाथियों और मायावती की मूर्तियों को ढकने के लिए पैसा कौन देगा, इस पर भी अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। (भाषा/वेबदुनिया)