26/11 मामले में हसन गफूर की खिंचाई

सोमवार, 21 दिसंबर 2009 (23:23 IST)
मुंबई में हुए आतंकवादी हमले की जाँच के लिए गठित एक उच्चस्तरीय समिति ने युद्ध की तरह चौतरफा हमले से निपटने में मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त हसन गफूर की तरफ से गंभीर चूक पाई है। समिति ने उनमें ‘प्रखर नेतृत्व की कमी’ और ‘कमान एवं नियंत्रण की कमी’ पाई।

हालाँकि दो सदस्यीय समिति ने मुंबई पुलिस के किसी अधिकारी और पुलिसकर्मी की तरफ से कार्रवाई करने या प्रतिक्रिया करने में व्यक्तिगत तौर पर कोई गंभीर चूक नहीं पाई। पूर्व राज्यपाल और केंद्रीय गृह सचिव आरडी प्रधान द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया कि हसन गफूर की तरफ से प्रत्यक्ष नेतृत्व का अभाव था। पुलिस आयुक्त के कार्यालय की तरफ से नियंत्रण का अभाव दिख रहा था।

रिपोर्ट को आज महाराष्ट्र विधानसभा में राज्य के गृहमंत्री आरआर पाटिल ने रखा। रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने मंत्रालय के भीतर, राज्य सचिवालय और पुलिस प्रतिष्ठान के कामकाज में कई खामियाँ पाईं।

प्रधान ने मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को रिपोर्ट सौंपते हुए अपने नोट में लिखा कि खुफिया सूचनाओं के प्रबंधन और संकट प्रबंधन के निर्धारित मानदंडों की अनदेखी की गई। इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। समिति के एक अन्य सदस्य केंद्रीय सचिवालय में पूर्व विशेष सचिव वी. बालचंद्रन थे।

रिपोर्ट में कहा गया कि ‘युद्ध जैसा’ हमला मुंबई पुलिस की क्षमता से बाहर था। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड जैसे विशेष बलों को निपटना चाहिए था। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालाँकि हमने पाया कि चौतरफा हमले से निपटने के लिए मुंबई पुलिस आयुक्त ने पर्याप्त पहल नहीं दिखाई। वह समूचे अभियान के दौरान एक ही स्थान होटल ट्राइडेंट के पास रहे।

इसमें कहा गया है कि आयुक्त कार्यालय से दृश्य नियंत्रण के अभाव में जनता में यह धारणा बनी कि पुलिस ने अभियान का कारगर तरीके से संचालन नहीं किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि बल्कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने हमसे कहा कि तीन दिनों तक न तो आयुक्त ने हमें कोई निर्देश दिया और न ही चल रहे अभियान के बारे में पूछताछ की।

हमने पाया कि चयनित आधार पर आयुक्त वायरलेस और मोबाइल पर संपर्क में रहे। कुछ अधिकारियों ने महसूस किया कि उन्हें इस बात की अनुभूति नहीं हुई कि वे दल का हिस्सा हैं। समिति ने कहा कि हम इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि हसन गफूर की तरफ से दृश्य और स्पष्ट नेतृत्व का अभाव था। समिति ने केंद्रीय खुफिया एजेंसियों द्वारा मुहैया कराई गई सूचना पर कार्रवाई करने में कोई विफलता नहीं पाई।

समिति ने तत्कालीन पुलिस महानिदेशक एएन राय की प्रशंसा की है। समूचे अभियान के दौरान वे सूचना मुहैया कराने के लिए उपलब्ध रहे और उन्होंने मदद की।

समिति ने सिफारिश की कि वर्ष 2003 में गठित त्वरित कार्रवाई दल को तत्काल समुन्नत और मजबूत बनाया जाना चाहिए ताकि विशेष बलों के पहुँचने तक इस तरह के हमलों का वे तुरंत और कारगर तरीके से जवाब दे सकें। इसमें उनके पुनर्गठन, प्रशिक्षण, उपकरण और सेवा शर्तों के लिए ब्लूप्रिंट दिया गया है।

समिति ने कहा कि मुंबई जैसे हमलों का सामना करने के लिए महाराष्ट्र के अन्य बड़े शहरों के पुलिस प्रशासन की तैयारी की समीक्षा विशेषज्ञों के दल द्वारा किए जाने और आवश्यक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।

इसमें कहा गया है कि खासतौर पर हम इस बात की अनदेखी नहीं कर सकते कि मुंबई पुलिस, ठाणे और नवी मुंबई की पुलिस के लिए समन्वित कार्ययोजना होनी चाहिए। इस क्षेत्र में तीन कमिश्नरेट की प्रशासनिक सीमाओं के अनुसार नहीं निपटा जाना चाहिए। इसके अलावा महाराष्ट्र के डीजीपी की मुंबई शहर में काम करने की जो प्रशासनिक सीमा है, उसे इस कार्रवाई में आड़े नहीं आना चाहिए था।

इसी तरह समिति ने कहा कि कहा कि मुंबई में 26/11 की घटना के परिप्रेक्ष्य में स्थितियों से निपटने के लिए गठित संकट प्रबंधन तंत्र के कार्यों की समीक्षा करने की जरूरत है। इसके लिए मंत्रालयों, निगम परिषदों, अस्पतालों, फायर ब्रिगेड आदि के आकलन की जरूरत है।

समिति ने कहा कि जिस तरह से पुलिस आयुक्त कार्यालय के नियंत्रण कक्ष ने 26/11 के दिन त्वरित और जिम्मेदारी से सूचनाओं का आदान-प्रदान किया वह प्रशंसनीय है। (भाषा)

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