अलविदा

विजय कुमार सप्पत्ती

सोचता हूँ
जिन लम्हों को
हमने एक दूसरे के नाम किया है
शायद वही जिंदगी थी।

भले ही वो ख्‍यालों में हो
या फिर अनजान ख्‍वाबों में
या यूँ ही कभी बातें करते हुए
या फिर अपने अपने अक्स को
एक दूजे में देखते हुए हो

पर कुछ पल जो तूने मेरे नाम किए थे
उनके लिए मैं तेरा शुक्रगुजार हूँ ।।

उन्हीं लम्हों को
मैं अपने वीरान सीने में रख
मैं
तुझसे,
अलविदा कहता हूँ।।।

अलविदा ।।

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