प्रेम कविता : तुम खास हो

तुम मेरी मधु वीणा के तार हो
मेरे मृदु हाथों का स्पर्श
तुम जो भी हो दुनिया की नज़र में
मेरे लिए खास, बस खास हो
एक आम इंसान नहीं हो
मेरे लिए खास हो...


मेरी नज़र में जो तुम हो
तुम सीप में समाए मोती हो
तुम शांत लहरों की शरारत हो
तुम ठंडी धूप की हरारत हो
मधुर यामिनी की आदत हो
मेरे लिए खास हो...

तुम गमों की गर्मी-ठंडक
खुशियों का एहसास हो
तुम धड़कनों की आवाज हो
सांसों का सुखद साज हो
सूरज की गर्मी में तरू छांव हो
मेरे लिए खास हो...

सदा हो मेरे प्यार की तुम
तुम ही हमसफर मात्र हो
तुम मंजिल हो जिंदगी की
खुद को कभी ना देखना
दुनिया की नजर से कभी
मेरे लिए खास हो...

क्यूंकि तुम ख़ास हो
मेरे बुझे हुए दिल की आस हो
मेरे लिए मधुर अहसास
तुम जो भी बहुत ख़ास हो
मेरे लिए खास हो...

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