मैं तुम्हें नहीं जानता यास्मीन

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मैं तुम्हें नहीं जानता
मैं नहीं जानता उसे भी
यहाँ मेरी बाहरी दीवार पर
जिसने लिखी थी ये इबारत, हिंग्रेजी में-
यास्मीन ! आई लव यू'

मैं नहीं जानता तुम्हें
शायद कभी यहीं रहती रही हो तुम
या हो अब भी
यहीं शिवरामदास गुलाटी मार्ग पर कहीं
या कि दूर यहाँ से
पेशावर या कराची में
मैं नहीं जानता तुम्हें
तुम हो भी कि नहीं!
मैं सिर्फ इतना जानता हूँ
यहाँ इन दीवारों पर
कोई जिंदा रखना चाहता है तुम्हें
तुम्हें- अपने नाम के साथ जोड़कर।

मैंने छोड़ दी है
इस बार भी बाहरी दीवार
उन्हें रंग-रोगन की कोई जरूरत नहीं
उनके सरोकारों के धुंधले होते विमर्श पर
तुम्हारे नाम की मात्राएँ ही बहुत हैं
यास्मीन ...!

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