अजीब होते हैं आदाब-ए-रुख़्सत

अजीब होते हैं आदाब-ए-रुख़्सत-ए-मेहफ़िल,
के उठ के वो भी चला जिसका घर न था कोई।

आदाब-ए-रुख़्सत-ए-मेहफ़िल----सभा समाप्त होने पर वहाँ से जाने के तरीक़े

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