तुम जानो तुमको ग़ैर से जो रस्मो-राह हो

तुम जानो तुमको ग़ैर से जो रस्मो-राह हो
मुझको भी पूछते रहो तो क्या गुनाह हो?
- ग़ालिब

Aziz AnsariWD
अर्थ - ग़ैर यानी पराया, अन्य। रस्मो-राह ...जान पहचान के लिए यह शब्द है। हर शब्द के पीछे एक भाव बिंब होता है। यहाँ रस्मो-राह का अर्थ है रास्ते में मिल जाने वाले आदमी से किया जाने वाला व्यवहार। यानी दुआ- सलाम, राम - राम। कोई भी नया आशिक अपने माशूक से यह कैसे कहे कि तुम्हारी पुरानी मोहब्बत किसी से भी हो, मुझे इससे कोई मतलब नहीं, मैं तो बस यह चाहता हूँ कि मुझसे भी दोस्ती कर लो?

इशारा गहरे संबधों की तरफ है और शब्द रस्मो-राह जैसा नर्म - मुलायम और हलका है ताकि बुरा न महसूस हो। यही ग़ालिब की खूबी है औऱ यही इस शेर की भी। फिर पूरी बात से ग़ालिब की शोखी झलक रही है। प्रतिस्पर्धी प्रेमी का ज़िक्र इतने शोख लहजे में केवल ग़ालिब ही कर सकते हैं। इसीलिए वो महान हैं।