बच्चे जब बड़े होने लगते हैं तो उन्हें वित्तीय शिक्षा देना आवश्यक हो जाता है। वे आपका अनुकरण करके भी सीख जाएंगे, पर समय-समय पर उन्हें छोटी-छोटी बातें बताकर आप उन्हें अपने जिम्मेदार बनाने में मदद कर सकते हैं।
अपने बच्चों से आप कीमतों और उत्पादों की तुलना पर चर्चा करें। उन्हें भी किराने की दुकान पर अपने साथ ले जाएं, फिर धीरे-धीरे छोटे-मोटे सामान लाने के लिए उन्हें अकेले भेजें। इससे उनमें बाजार और पैसे की समझ पैदा होगी।
बच्चे जितनी जल्दी पैसों का प्रबंधन सीख जाएं, उतना अच्छा है। इस तरह वे जीवन का एक महत्वपूर्ण सबक सीखेंगे। जब वे वयस्क हो जाएंगे तो अपने आप स्मार्ट वित्तीय विकल्प (smart financial choices) बनाने लग जाएंगे।
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बचपन से ही उन्हें पैसे के प्रबंधन के लिए इन 3 तरीकों को जानना बेहद जरूरी है-
बचत, खर्च और दान करने की कला।
सहेजना/ बचत करना : इस तरीके को आसानी से समझाने के लिए आप अपने बच्चे को गुल्लक लाकर दीजिए। जब भी बच्चे को उपहार के रूप में पैसे मिलें तो उसे वे गुल्लक में डालने के लिए कहें, फिर उसे पैसे गिनने के लिए कहें और ये समझाएं कि पैसे जमा हो रहे हैं और बढ़ रहे हैं। ऐसा करने के लिए अपने बच्चे को प्रोत्साहित करें।
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खर्च करना : अपने बच्चे को बुद्धिमानी से खर्च करना सिखाएं। जब वे एक नए crayon बॉक्स या एक पेंसिल बॉक्स पर खर्च करना चाहें तो उनसे पूछें कि क्या वे वास्तव में इसे खरीदना चाहते हैं?
उनके लिए यह समझना बहुत जरूरी है कि उनके लिए क्या जरूरी है और क्या नहीं। इससे बच्चा अपनी असली जरूरतों को समझेगा और फिजूलखर्ची नहीं करेगा।
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दान : उन्हें साझा करना सिखाएं। उसे सिखाएं कि उदारता से बड़ा कोई पुण्य नहीं है।
इसी के साथ उन्हें पैसे की कद्र करना सिखाएं, पैसे की बचत करना सिखाएं, फिजूलखर्ची होने पर उन्हें चेताएं और सबसे जरूरी यह है कि आप खुद उनके लिए एक आदर्श उदाहरण बनें। बच्चे आपका अनुकरण अवश्य करेंगे।