एक अरब नागरिक के साथ एक नाबालिग मुस्लिम लड़की की जबरन शादी कराए जाने की घटना के प्रकाश में आने के बाद लगातार यौन शोषण की शिकार हो रही गरीब तबके की महिलाओं की असुरक्षित स्थिति एक बार फिर से उजागर हो गई है।
केरल के विभिन्न हिस्सों में ‘अरबी कल्याणम’ नामक यह सामाजिक बुराई आज भी प्रचलित है। कोझीकोड की अनाथालाय में रह रही एक नाबालिग मुस्लिम लड़की से एक अरब नागरिक द्वारा शादी किए जाने की हालिया घटना ने युवा लड़कियों का जीवन तबाह कर देने वाली इस कुप्रथा पर भारी बहस छेड़ दी है।
गौरतलब है कि रस अल खमह (संयुक्त अरब अमीरात) का निवासी जासिम मोहम्मद अब्दुल करीम लड़की के साथ दो सप्ताह का समय बिताने के बाद अपने घर चला गया और फिर वहां से फोन पर उसे तलाक दे दिया था।
वैश्विक शिक्षा और सामाजिक सूचकांक के सराहनीय सूचकांकों के बावजूद केरल में वंचित वर्गों की महिलाएं आज भी इस कुप्रथा का शिकार होती रही हैं।
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दशकों तक चले जागरूकता अभियान और जमीनी स्तर पर कार्रवाई के बावजूद न सिर्फ मुस्लिम समुदाय बल्कि आदिवासियों जैसे वंचित वर्ग की आर्थिक रूप से कमजोर नाबालिग लड़कियां आज भी ‘सीमापार विवाह’ के नाम पर शोषित हो रही हैं जिसमें बिना उनकी मर्जी के दूसरे देश या दूसरे राज्य से आए लोगों के साथ उनका विवाह कर दिया जाता है।
इस विवाह समारोह का नाम बाहर से आने वाले दुल्हों के मूल स्थान के नाम पर आधारित होता है। स्थानीय भाषा में ‘अरबी कल्याणम’,‘मैसूर कल्याणम’ या ‘माले कल्याणम’ नाम से प्रचलित यह कुप्रथा कोझीकोड, मल्लापुरम, कन्नूर, कासरगोड और यहां तक की राजधानी तिरवनंतपुरम जैसी जगहों में भी व्यापक रूप से प्रचलित है।
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स्थानीय युवाओं के मोटे दहेज की मांग को पूरा करने में अक्षम लड़कियों के माता पिता कई बार विवाह तय कराने वाले पेशेवरों के झांसे या समुदाय के बुजुर्गों के दबाव में आकर ‘विदेशी दुल्हों’ के चक्कर में फंस जाते हैं।
परिजनों को अपनी बेटी की शादी के लिए राजी करने के लिए शुरुआत में तो इन दुल्हनों के आगे सुंदर परिधानों और सोने के गहनों जैसे महंगे उपहारों का अंबार लगा दिया जाता है।
विवाह समारोह के बाद वे कुछ दिनों या कुछ हफ्तों तक हनीमून मनाते हैं, जिसके बाद दुल्हा अपनी नवविवाहिता नाबालिग दुल्हन को लंबे दुख और आंसुओं के साथ उसके घर में ही छोड़कर चला जाता है।
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ऐसा माना जाता था कि समुदाय के कुछ प्रगतिशील नेताओं और एनजीओ के जमीनी स्तर पर हस्तक्षेप के बाद व्यापक रूप से निंदनीय यह सामाजिक कुप्रथा समाप्त हो चुकी है, लेकिन कोझीकोड की हालिया घटना से यह एक बार उभरकर सामने आई है।
इस मामले में यूएई के दुल्हे ने पहले एक स्थानीय महिला से शादी की थी, जिसने बाद में उसे तलाक दिया और केरल की लड़की से शादी कर ली।
इस मामले में जब पीड़िता और उसकी मां अनाथालय के अधिकारियों पर इस विवाह के लिए पहल करने का आरोप लगाते हुए खिलाफ खड़ी हो गई, तब यह मामला उजागर हुआ।
लैंगिक पूर्वाग्रहों और बहुविवाह जैसे भेदभावपूर्ण व्यवहार के खिलाफ अभियान चलाने वाली महिला अधिकार कार्यकर्ता वी पी जोहरा कहती हैं कि गरीबी के अलावा शिक्षा की कमी और दहेज प्रथा का भी इस सामाजिक बुराई में बराबर का योगदान है।
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कोझीकोड में ‘एनआईएसए प्रोग्रेसिव मुस्लिम वुमेंस फोरम’ नामक संस्था चलाने वाली जोहरा कहती है 'इस तरह की जबरन शादियां समाज के लिए एक खतरा है। कानूनी खामियों की वजह से यह कुप्रथा आज भी जारी है, जिसका नतीजा यह होता है कि नाबालिग विधवाएं और माताएं अपनी बाकी की जिंदगी कभी न खत्म होने वाले दुख के साथ जीने को मजबूर हैं।'
राज्य महिला आयोग की ओर से कुछ वर्ष पहले किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, ‘मैसूर कल्याणम’ की 9,000 से अधिक पीड़ितों में से 2,500 को उनके पतियों ने छोड़ दिया था और करीब 300 पीड़िताएं लापता थी।
इस अध्ययन में पाया गया कि इस तरह के ज्यादातर विवाह राज्य के मल्लापुरम, त्रिशूर और कोझीकोड जिले में हुए। इस अध्ययन में यह संकेत मिला कि राज्य के कुछ हिस्सों में ‘तमिलनाडु विवाह’ और ‘हरियाणा विवाह’ भी प्रचलित है।