यह कुछ आसनों का क्रम है। इसे क्रम से करने से सभी तरह के रोगों में लाभ पाया जा सकता है। जिन्हें अपनी बॉडी को फिट रखकर सेहतमंड बने रहना है वह इन आसनों को क्रम से नियमित करते रहेंगे तो हमेशा तरोजाता बने रहेंगे।
स्टेप 1- नमस्कार मुद्रा करते हुए नटराजासन, एकपाद आसन, कटि चक्रासन, उत्कटासन करने के बाद पुन: नमस्कार मुद्रा में लौटकर, चंद्रासन, अर्ध उत्तनासन और फिर पादस्तासन करते हुए पुन: चंद्रासन करके नमस्कार की मुद्रा में लौट आएँ।
स्टेप 2- नमस्कार मुद्रा के बाद अर्ध उत्तनासन और फिर दाएँ पैर को पीछे ले जाकर हनुमान करें फिर अधोमुख श्वानासन करते हुए बाएँ पैर को आगे रखते हुए पुन: हनुमानासन करते हुए विरभद्रासन-1 करें। फिर प्रसारिता पादोत्तनासन करें। प्रसारिता पादोत्तनासन के बाद फिर कोहनी को घुटने पर टिकाते हुए उत्थिष्ठ पार्श्वकोणासन करें।
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स्टेप 3- उत्थिष्ठ पार्श्वकोणासन के बाद फिर पुन: हनुमानासन करते हुए अधोमुख श्वानासन करें। अब दाएँ पैर को सामने रखते हुए पुन: हनुमान आसन करते हुए विरभद्रासन-1 करें। विरभद्रासन के बाद फिर प्रसारिता पादोत्तनासन करें। फिर कोहनी को घुटने पर टिकाते हुए उत्थिष्ठ पार्श्वकोणासन करें।
स्टेप 4- उत्थिष्ठ पार्श्वकोणासन के बाद पुन: हनुमान आसन में लौटकर अधोमुख श्वानासन में आकर मार्जायासन और फिर बिटिलियासन करें।
स्टेप 5- बिटिलियासन के बाद, वज्रासन में बैठ जाएँ। वज्रससन में बैठकर योग मुद्रा, उष्ट्रासन, भारद्वाजासन, आंजेनेय आसन, दंडासन, बंधकोणासक, वक्रासन, पवन मुक्तासन और नौकासन करें।
स्टेप 6- नौकासन के बाद पुन: नमस्कार मुद्रा में लौट आएँ और फिर चतुरंग दंडासन, भुजंगआसन, धनुरासन करते हुए मकरासन में लेट जाएँ।
स्टेप 7- मकरासन के बाद शवासन करते हुए पादअँगुष्ठासन, विपरितकर्णी आसन, आनंद बालासन, हलासन, पवन मुक्तासन, सेतुबंध आसन, मत्स्यासन करते हुए पुन: शवासन में लौट आएँ। शवासन में कुछ देर आराम करने के बाद उठ जाएँ।