शनि ग्रह का नाम सुनते ही जो सबसे पहला विचार मन-मस्तिष्क में आता है वह है- साढ़ेसाती व ढैय्या। शनि को न्यायाधिपति कहा गया है और शनि दण्डाधिकारी भी हैं। वे मनुष्यों को उनके कर्मों के अनुसार शुभफ़ल व दण्ड देते हैं। उनका यह न्याय साढ़ेसाती व ढैय्या की अवधि में प्रबल रूप में प्रकट होता है। अपने नामानुसार ही साढ़ेसाती की अवधि साढ़ेसात वर्ष एवं ढैय्या की अवधि ढाई वर्ष की होती है।
साढ़ेसाती व ढैय्या का नाम सुनते ही जनमानस में भय व चिन्ता व्याप्त हो जाती है। लेकिन साढ़ेसाती को लेकर इस प्रकार का भय व चिन्ताएं पूर्णरूपेण सत्य नहीं होतीं क्योंकि जिन जातकों की जन्मपत्रिका में शनि उच्चराशिस्थ, राजयोगकारक एवं शुभ होते हैं उनके लिए साढ़ेसाती की अवधि शुभफ़लदायक एवं उन्नतिकारक होती है।