अक्षय तृतीया पर 'सात' का संयोग

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अक्षय तृतीया पर इस बार सात का संयोग है। अंक सात, सप्ताह का सातवाँ दिन और ऊपर से शुभ मुहूर्त। खरददारी के लिए लोगों को और क्या चाहिए। रविवार को लोगों के पास ये तीनों ही खूबियॉँ मौजूद होंगी। अक्षय तृतीया पर पड़ने वाले सात के संयोग को सप्तम महतारी की कृपा मानी जाती है। इसलिए खरददारी का महत्व और बढ़ जाता है। इस दिन खरददारी करने से सप्तम महतारी की कृपा बनी रहती है। अक्षय तृतीया वैसे तो सभी कार्यों के लिए स्वयं सिद्ध शुभ मुहूर्त है। इस दिन शादी से लेकर हर तरह की खरीदारी की जा सकती है।

आमतौर पर हर महीने में दो पक्ष होते हैं, पहला कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष। एक पक्ष में 15 दिन या तिथियाँ ज्योतिष के अनुसार होती हैं। कभी-कभी एक तिथि क्षय अर्थात कम होकर 14 दिनों का पक्ष रह जाता है, लेकिन इस बार द्वितीय वैशाख माह का पक्ष केवल 13 दिनों का है। इसमें दो तिथियों प्रतिपदा और चतुर्दशी का क्षय हो रहा है। ज्योतिर्विदों के अनुसार इससे पहले यह दुर्लभ संयोग 1948 में बना था, लेकिन तब अधिक मास नहीं था।

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इस संबंध में ज्योतिर्विद डॉ. एच.सी. जैन बताते हैं कि बहुत ही कम ऐसे पक्ष होते हैं, जिनमें दो तिथियों का क्षय हो जाए। इस बार वैशाख शुक्ल में अधिक मास के साथ तेरह दिन का पक्ष बना है। ऐसी स्थिति सर्वप्रथम महाभारत काल के समय निर्मित हुई थी। उस समय युद्ध चलने की वजह से अकारण कई जानें गईं। अब शास्त्रों के अनुसार इस तेरह दिनों के पक्ष में चारों तरफ हिंसा, आतंकवाद व आँधी-तूफान की स्थिति निर्मित हो सकती है।

वहीं इस समय तेरह दिन के पक्ष में विवाह आदि पर पूर्ण प्रतिबंध माना जाता है, पर द्वितीय वैशाख शुक्ल पक्ष में 16 मई को अक्षय तृतीया है, जो अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है। इसमें कन्यादान, विवाह आदि संस्कार कर सकते हैं। ज्योतिषाचार्य का कहना है कि 27 मई तक चलने वाले तेरह दिन के इस पक्ष में शुभ कार्य पूरी तरह से वर्जित होते हैं। इस हिसाब से 28 मई से ही शादियाँ होनी चाहिए। सामान्य तौर पर 13 दिन का पक्ष 1993 में आषाढ़ शुक्ल पक्ष, वर्ष 2005 में कार्तिक शुक्ल पक्ष और 2007 में सावन कृष्ण पक्ष में भी बना था।

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