कितने कॉन्फिडेंट हैं आप?

- भारती पंडित

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एक बैलेंस्ड पर्सनैलिटी वही होती है जिसमें इमोशन, कॉन्फिडेंस, इंटेलीजेंस सभी कुछ सिस्टेमैटिक होते हैं। इनमें से किसी भी चीज की अधिकता या कमी हमारी पर्सनैलिटी में डिसऑर्डर ले आती है। कॉन्फिडेंस यूँ भी लाइफ में आगे बढ़ने के लिए बहुत जरूरी है। इसके न होने से हम अवसर चूक सकते हैं। अपनी बात का सही प्रेजेंटेशन नहीं कर पाते, अपनी सफाई नहीं दे पाते, स्वयं को सही सिद्ध नहीं कर पाते। कई बार ओरल टेस्ट (वायवा) या इंटरव्यू में भी कॉन्फिडेंस न होने से आपके सिलेक्शन के चाँसेस कम हो जाते हैं।

कॉन्फिडेंस का एस्ट्रोलॉजिकल एनालीसिस करें तो इसका सीधा संबंध हॉरोस्कोप में प्लेनेटरी पोजीशन से होता है। यदि हॉरोस्कोप में मुख्‍य प्लेनेट (लॉर्ड ऑफ एसेंडेंट) कमजोर है, चंद्रमा अशुभ है और सूर्य भी कमजोर है तो व्यक्ति इमोशनल डिसऑर्डर का शिकार होगा और उसमें कॉन्फिडेंस बेहद कम होगा। ऐसे लोग सब कुछ आने के बाद, अच्छी बुद्धि होने के बाद भी जीवन में आगे नहीं बढ़ पाते।

जिन हॉरोस्कोप में मुख्‍य ग्रह, मून और सन बैलेंस होते हैं, उन लोगों का कॉन्फिडेंस अच्छा होता है और वे स्वयं को बेहतर प्रेजेंट कर पाते हैं। अच्छे मून-सन को यदि अच्छे ज्यूपिटर व मरक्यूरी का भी साथ मिले तो व्यक्ति नॉलेजेबल होता है। अच्छा स्पीकर होता है।

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वहीं यदि सन स्ट्रॉंग है, मगर ज्यूपिटर वीक है और स्ट्रांग सन राहु-मंगल के प्रभाव में हो तो व्यक्ति कुछ न आते हुए भी बेकार का ओवर कॉन्फिडेंस शो करता है और अपने सर्कल में आलोचना का पात्र बनता है। यह ओवर कॉन्फिडेंस उसमें सुपर ईगो को बढ़ाता है।

सही कॉन्फिडेंस लेवल के लिए : -
1. मुख्‍य ग्रह को मजबूत करें।
2. ज्यूपिटर व मरक्यूरी को बैलेंस करें।
3. सन को बैलेंस करने के लिए रोज सूर्य दर्शन करें, गायत्री मंत्र का पाठ करें, पिता व गुरु का आदर करें।
4. योगा व मेडिटेशन करें।
5. महत्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय व्हाइट, ऑरेंज, येलो व ग्रीन कलर का इस्तेमाल करें। डार्क ब्लू, स्लेटी व ब्लैक कलर का प्रयोग न करें।

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