हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थों में 4 धाम की यात्रा का ही खास महत्व है। ये चार धाम है- 1. बद्रीनाथ, 2.द्वारिकाधीश, 3.जगन्नाथ और 4.रामेश्वरम। इसके अलावा केदारनाथ, अमरनाथ, कैलाश मानसरोवर, गंगोत्री, यमुनोत्री, 51 शक्तिपीठ, सप्तपुरी, कन्याकुमारी और गंगा सागर की यात्रा का महत्व है। चार धामों में सबसे ज्यादा महत्व जगन्नाथ का क्यों है।
बैकुंठ धाम: हिन्दू धर्म के बेहद पवित्र स्थल और चार धामों में से एक जगन्नाथ पुरी और बद्रीनाथ धाम को धरती पर बैकुण्ठ कहा गया है। यह भगवान विष्णु का निवास स्थल माना जाता है। कहते हैं कि जगन्नाथ पुरी में सभी देवता निवास करते हैं। पुरी की गणना सप्तपुरियों में है। यानी भारत के सात पवित्र और सबसे प्राचीन नगरों में इसकी गिनती की जाती है।
नीलमाधव को कहा जाने लगा जग के नाथ जगन्नाथ: बाद में नीलमाथव को श्रीहरि विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण के रूप में पूजा जाने लगा। साथ ही उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को भी पूजा जाने लगा। स्थानीय मान्यताओं अनुसार कहते हैं कि इस मूर्ति के भीतर भगवान कृष्ण का दिल का एक पिंड रखा हुआ है जिसमें ब्रह्मा विराजमान हैं। पहले यहां पर भगवान को पुरुषोत्तम और नीलमाधव के रूप में पूजा जाता था। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह स्थान सतयुग के काल का है जहां पर बाद में मंदिर का निर्माण किया गया।
पुरुषोत्तम क्षेत्र: ब्रह्म और स्कंद पुराण के अनुसार यहां भगवान विष्णु पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतरित हुए और सबर जनजाति के परम पूज्य देवता बन गए। पुरुषोत्तम हरि को यहां भगवान राम का रूप माना गया है। रामायण के उत्तराखंड के अनुसार भगवान राम ने रावण के भाई विभीषण को अपने इक्ष्वाकु वंश के कुल देवता भगवान जगन्नाथ की आराधना करने को कहा। आज भी पुरी के श्री मंदिर में विभीषण वंदापना की परंपरा कायम है।
पुरी है दक्षिणवर्ती शंख के समान: पुरी को पुराणों में शंख क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार पुरी एक दक्षिणवर्ती शंख की तरह है और यह 5 कोस यानी 16 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। माना जाता है कि इसका लगभग 2 कोस क्षेत्र बंगाल की खाड़ी में डूब चुका है। इसका उदर है समुद्र की सुनहरी रेत जिसे महोदधी का पवित्र जल धोता रहता है। सिर वाला क्षेत्र पश्चिम दिशा में है जिसकी रक्षा महादेव करते हैं। शंख के दूसरे घेरे में शिव का दूसरा रूप ब्रह्म कपाल मोचन विराजमान है। माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा का एक सिर महादेव की हथेली से चिपक गया था और वह यहीं आकर गिरा था, तभी से यहां पर महादेव की ब्रह्म रूप में पूजा करते हैं। शंख के तीसरे वृत्त में मां विमला और नाभि स्थल में भगवान जगन्नाथ रथ सिंहासन पर विराजमान है। समुद्र की ओर से रामदूत हनुमानजी इस क्षेत्र की रक्षा करते हैं।
शंखद्वीप: पुरी के पास शंखद्वीप भी है। कहते हैं यही से पाताल लोक जाने का रास्ता भी है। चिलिका झील के भीतर स्थित नलाबाना द्वीप, ऊपर से देखने पर एक शंख की तरह प्रतीत होता है। ठीक उसी तरह का शंख जो भगवान विष्णु अपने हाथ में धारण करते हैं। वैतरणी और महानदी नदी जहां सागर में मिलती है उसके पहलेशंखद्वीप है जहां पर जिंदा शंख भगवान का प्रसाद खाने आते हैं।
विमला क्षेत्र: स्थानीय मान्यता के अनुसार यहां की सबसे बड़ी शक्ति माता विमला देवी है, जो रावण की कुलदेवी मानी गई है। यही देवी संपूर्ण जगन्नाथ क्षेत्र की रक्षा करती है। इन देवी की आज्ञा से ही सभी कार्य होते हैं। यह यहां की रक्षक देवी हैं। इन्हें योगमाया और परमेश्वरी कहा जाता है। जगन्नाथ से पहले से ही वे यहां विराजमान हैं। इसे पहला आदिशक्ती पीठ कहा जाता है। तंत्र और मंत्र की अधिश्वरी देवी वही है। माया और छाया उन्हीं के कंट्रोल में रहती है। यह तंत्र का सेंटर है।