कैसे जानें ज्योतिष को

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भारतीय ज्योतिष की परंपरा कई हजार साल से काफी संपन्न व समृद्ध रही है। भारतीय ज्योतिष का डंका सारे विश्व में बजता है। अपना भाग्य जानने की उत्कंठा कमोबेश दुनिया के सभी मुल्कों के वासियों में रहती है। प्राचीन भारत में ज्योतिष का अर्थ ग्रहों व नक्षत्रों की चाल का अध्ययन करना था यानी ब्रह्मांड के बारे में अध्ययन किया जाना।

फलित ज्योतिष में ग्रह-नक्षत्रों की चाल का काफी सूक्ष्म विश्लेषण किया गया है। गणितीय फॉर्मूलों के आधार पर हजार साल बाद आकाशीय पिंडों की क्या स्थिति होगी इसकी सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।

भारतीय ज्योतिष के बारे में लोगों में कई भ्रांतियां व अंधविश्वास भी व्याप्त हैं। ये बाद में फलित के विकास के साथ जुड़ते चले गए। इन भ्रांतियों का निराकरण किया जाना आवश्यक है। जब तक इनका निराकरण नहीं होगा, इसके बार में ठोस विश्वास का जम पाना कठिन होगा।

प्राचीन भारतीय पुस्तकों जैसे नारद पुराण आदि में फलित के बारे में कई चकित कर देने वाले संकेत भी मिलते हैं। कहा जाता है कि शिव ने नारद को चौरासी लाख सूत्र बताए थे, जिसमें से मात्र चौरासी सूत्र बचे हैं।

अपना कल क्या होगा, बीते जन्म में हम क्या थे व अगले में क्या हो सकते हैं, बच्चों का भविष्य क्या होगा, शादी के योग कब बनेंगे, मकान बनेगा कि नहीं, उत्तम स्वास्थ्य मिलेगा या नहीं, तकलीफों से कब निजात मिलेगी, इत्यादि भांति-भांति की अपेक्षाएं व शोक-संताप हर व्यक्ति को सताते रहते हैं। वह इनसे निजात पाने के लिए व्यक्ति ज्योतिष के जानकार के पास जाता है, जिसे ज्योतिर्विद या ज्योतिषाचार्य कहते हैं।

भाग्य जानने वालों में गणमान्य लोग, राजनीतिज्ञ, संभ्रांत लोग, व्यापारी, सैन्यकर्मी व अधिकारी, प्रेमी, प्यार सफल होगा या नहीं, अमीर-गरीब, बुद्धिजीवी आदि लोग शामिल रहते हैं।

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ये सभी यह चाहते हैं कि हमें अपने हिसाब से ही हमारे भाग्य के बारे में जानकारी मिले। किंतु ऐसा होना संभव नहीं है, क्योंकि हर व्यक्ति का जन्म अलग-अलग घड़ियों व नक्षत्रों में होता है। कभी नक्षत्रों की कृपा-दृष्टि तो कभी क्रूर-दृष्टि जन्म लेने वाले के ऊपर बनी रहती है।

कई ग्रह शुभ होते हैं तो कई अशुभ। अत: ज्योतिष द्वारा हर चीज का उत्तर देने का दावा नहीं किया जाता है। उसके द्वारा आपकी जन्म कुंडली के विश्लेषण से आपको सही मार्गदर्शन दिया जाता है। उनके द्वारा यह बताया जाता है कि आपकी राशिनुसार क्या उपाय किए जाने चाहिए, जैसे कि कौन-सा नग धारण करने पर आपको क्या फल मिलेगा, किस मोती को किस समय धारण करें, कौन-सा मुहूर्त शुभ रहेगा, किस अंगुली में कौन-सी अंगूठी पहननी है व किस समय क्या करना होगा आदि-आदि।

जहां तक भारतीय ज्योतिष-परंपरा की बात है, तो वह कई हजार साल पुरानी है। इस विषय पर लाखों पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं और कई लिखी जा रही हैं। यह सिलसिला अनवरत जारी है। चांद-तारों की मानिंद।

प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर भी इसकी काफी चर्चा, लेख, बहस, सवाल-जवाब इत्यादि हम आए दिन देखते रहते हैं। भाग्य जानने की उत्कंठा, प्यास व उत्सुकता हर समय बरकरार रहती है व आगे भी रहेगी।

पाठकों को तो हमारी यही सलाह है कि वह अपना भाग्य जानने के लिए किसी अच्छे ज्योतिष को ही दिखाएं। एक और बात, आंख मूंद कर ज्योतिष पर भी विश्वास कर लेना उचित नहीं, क्योंकि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। उसी के अनुसार काम किया जाना ‍चाहिए। स्वविवेक का इस्तेमाल किया जाना अति उत्तम होगा।

- रवीन्द्र गुप्ता




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