चन्द्रमा का प्रभाव

किसी मुहूर्त को साधते समय कम से कम इतना अवश्य करें कि मुहूर्त लग्न के किसी अच्छे भाव में चन्द्रमा स्थित हो तो कार्यसिद्धि की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।

चन्द्रमा और सूर्य मिलकर पृथ्वी पर अपनी आकर्षण शक्ति में बहुत व्यापक परिणाम लाते हैं। चन्द्रमा पर ग्रहीय प्रभाव बहुत अधिक है, इससे वे अपने कक्षा-पथ में बहुत विचलित होते हैं। चन्द्रमा के जीवन में राहु-केतु का बड़ा भारी महत्व है, क्योंकि ये उनके ग्रहण का कारण बनते हैं।

अगर चन्द्रमा को गणना में न लें तो पंचांग का अर्थ ही बेकार हो जाता है। चन्द्रमा मन और इस मन पर ग्रहों का प्रभाव पड़ता है तो चन्द्रमा उन ग्रहों या नक्षत्रों का प्रभाव देने लगता है। पृथ्वी और नक्षत्रों के बीच जब चन्द्रमा आते हैं तो नक्षत्रों के विकिरण चन्द्रमा पर भारी प्रभाव डालते हैं, इसलिए चन्द्रमा का आचरण भिन्न-भिन्न होता है। चन्द्रमा जीव जगत में रस की सृष्टि करते हैं।

चन्द्रमा को इतना महत्व दिया गया है कि जन्म लग्न के समान ही चन्द्र लग्न को माना गया है। नीच भंग राजयोग में चन्द्र लग्न का बड़ा महत्व है। श्रेष्ठ योजनाकारी के, राजपुरुषों के चन्द्रमा बहुत बली होना आवश्यक है। दूसरी तरफ अपराधियों, पागल व्यक्ति, विकृत मानसिकता वाले व्यक्ति, कुटिल मन व्यक्ति, भावुक व्यक्ति इन सबका क्षीण या पापयुत चंद्र होता है। चन्द्रमा के साथ केतु जैसे ग्रह मन को क्लांत रखते हैं।

इनमें ध्यान से देखें तो चन्द्रबल को लेकर अधिकांश योग आदि गढ़े गए हैं। चन्द्रबल विचार का एक अन्य फार्मूला निकाला गया है।

उसके अनुसार जन्म का चन्द्रमा हो तो लक्ष्मी प्राप्ति, द्वितीय हो तो मन संतोष, तृतीय चंद्रमा हो तो धन-संपत्ति प्रदायक, चौथा चन्द्रमा हो तो कलह, पाँचवाँ हो तो ज्ञानवृद्धि, छठा हो तो धनप्रदायक, सातवाँ हो तो राज-सम्मान, 8वाँ हो तो मृत्यु भय, 9वें चन्द्रमा से धनलाभ, 10वें से मनोकामना पूर्ति, 11वें चन्द्रमा को लेकर जो वर्जनाएँ की गई हैं वे अतिमहत्वपूर्ण हैं।

दिशाशूल, चन्द्रमा का गोचर, चन्द्रमा का शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष में होना, चन्द्रमा का ग्रहों से वेध, भद्रा, पंचक, विवाहकाल में नाड़ी दोष, भकूट दोष आदि बड़े महत्व के हैं। अमावस्या आदि का विचार सबसे अधिक करना चाहिए। किसी मुहूर्त को साधते समय कम से कम इतना अवश्य करें कि मुहूर्त लग्न के किसी अच्छे भाव में चन्द्रमा स्थित हों तो कार्यसिद्धि की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।

प्रश्न लग्न के मामलों में विशेष रूप से पाया है कि चन्द्रमा पापग्रहों से विद्ध हो या चन्द्रमा पापकर्तरि में हो तो प्रश्न का उत्तर नकारात्मक आता है। यदि किसी ऐसे जातक के लिए प्रश्न किया जाए जो घर से भागा हो, जिसका अपहरण किया गया हो या बीमार चल रहा हो तो अवश्य जातक की जीवनरक्षा की चिंता करनी पड़ती है।

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