ज्योतिष के आईने में दोस्ती के ‍सितारे

कहा जाता है जीवन के सारे महत्वपूर्ण रिश्ते जन्म से मिलते हैं जो हमारे हाथ में नहीं होते है लेकिन जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और करीबी रिश्ता जो हम बनाते हैं वह दोस्ती का रिश्ता होता है यह रिश्ता कब और किससे बनता है साथ ही आप और आपके दोस्त के आचार-विचार, रहन-सहन सब कुछ सितारों से बनते हैं इसलिए आपकी जन्मकुंडली, आपका लग्न व आपकी राशि बताती है कौन आपका सच्चा दोस्त होगा-

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ज्योतिषीय जगत में लग्न और त्रिकोण स्थान को सबसे शुभ माना जाता है। इसी आधार पर हम नैसर्गिक मित्रता के लिए राशियों के चार समूह प्रस्तुत कर रहे हैं। ग्रहों और राशियों के गुण धर्म के आधार पर आप आसानी से समझ पाएंगे आपके विश्वसनीय दोस्त किस राशि के हो सकते हैं-


(1) मेष-सिंह-धनु-

जब मेष लग्न या राशि कुण्डली में त्रिकोण पंचम में सिंह राशि होती है जिसका स्वामी सूर्य होता है और नवम में धनु राशि होती है, जिसका स्वामी गुरु होता है।

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इस प्रकार तीनों राशियां एक-दूसरे से त्रिकोण होती है इसलिए मंगल-सूर्य-गुरु में नैसर्गिक मित्रता होती है। अत: तीनों राशियों में परस्पर मित्रता बहुत अच्छी होती है क्योकि यह तीनों राशियां क्षत्रिय वर्ण, अग्नि तत्व से युक्त और पूर्व दिशा प्रधान होती है।




(2) वृषभ-कन्या-मकर-

जब वृषभ लग्न या वृषभ राशि की कुंडली होती है तब त्रिकोण स्थान पंचम भाव में कन्या राशि जिसका स्वामी बुध और नवम भाव में मकर राशि जिसका स्वामी शनि होता है- यह तीनों राशियां सदैव एक-दूसरे से त्रिकोण में ही रहती है।

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इसलिए शुक्र बुध और शनि इसलिए इन तीनों राशियों में नैसर्गिक मित्रता होती है। इन तीनों राशियों का वैश्य वर्ण, पृथ्वी तत्व और दक्षिण दिशा प्रधान होने से आपस में प्रगाढ़ मित्रता होती है।



(3) मिथुन-तुला-कुम्भ-

जब मिथुन लग्न या राशि कुंडली होती है तब त्रिकोण स्थान पंचम भाव में तुला जिसका स्वामी शुक्र और नवम भाव में कुम्भ राशि जिसका स्वामी शनि होता है- यह तीनों राशियां सदैव एक-दूसरे से त्रिकोण में होती है इसलिए इन तीनों राशियों में नैसर्गिक मित्रता होती है।

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यह तीनों राशियां शुद्र वर्ण, वायु तत्व और पश्चिम दिशा प्रधान होने से आपस में गहरी मित्रता होती है।




(4) कर्क-वृश्चिक-मीन-

जब कर्क राशि या लग्न होती है तब त्रिकोण स्थान पंचम भाव में वृश्चिक जिसका स्वामी मंगल और नवम स्थान में मीन राशि जिसका स्वामी गुरु होता है- यह तीनों राशियां सदैव एक-दूसरे से त्रिकोण में होती है इसलिए मंगल चन्द्र और गुरु में आपस में नैसर्गिक मित्रता होती है।

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अत: तीनों राशियों में परस्पर मित्रता बहुत अच्छी होती है क्योंकि यह तीनों राशियां विप्र वर्ण, जलतत्व और उत्तरदिशा प्रधान होती है इनमें आपस में प्रगाढ़ मित्रता होती है।

इसके अलावा कई बार शत्रु राशियों में भी मित्रता हो जाती है लेकिन अनुभव में आता है ऐसी मित्रता लम्बे समय तक नहीं चलती।

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