मई 2010 में 13 दिनों का पखवाड़ा आ रहा है। महाभारत काल में भी इस तरह का पखवाड़ा आया था। पंडितों के अनुसार इस तरह के पखवाड़े को अशुभ माना जाता है। उस दौरान विवाह को छोड़कर अन्य शुभ कार्य किए जा सकेंगे। 15 से 27 मई तक 13 दिनों का पखवाड़ा रहेगा।
इस दौरान प्रतिपदा व द्वितीया 15 मई तथा त्रयोदशी व चतुर्दशी 26 मई को होगी। हिंदू पंचांगों में इस तरह की स्थिति को त्रयोदशात्मक कहा जाता है। द्वापर युग में महाभारत युद्ध के समय 13 दिनों का पखवाड़ा पड़ा था।
ज्योतिष आशुतोष झा के मुताबिक इस तरह के पखवाड़े में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, लेकिन इस बार विवाह को छोड़कर अन्य शुभ कार्य किए जा सकेंगे। इस पखवाड़े के दौरान उपनयन संस्कार 16 व 23 मई को किए जा सकेंगे। इसके अलावा 28 व 30 को भी शुभ मुहूर्त है। पुराने को नए घर बनाने के लिए 19, 24 व 26 मई को मुहूर्त है। पखवाड़ा के बाद गृह प्रवेश 28 मई व देवों की स्थापना 28 व 30 मई को की जा सकेगी। विवाह 28 व 29 मई को होंगे।
इस वर्ष दो बैसाख हैं। पहला बैसाख माह 31 मार्च से 28 अप्रैल तक है। दूसरा बैसाख माह 29 अप्रैल को शुरू होकर 27 मई को खत्म होगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक 32 महीनों में हिंदी महीना का कोई भी माह दो बार आता है। हिंदू तिथि चंद्रमा पर आधारित होती है, इसलिए ऐसा होता है। 12 अंश की एक तिथि होती है। प्रत्येक तिथि चंद्रमा के अंश की द्योतक है। सौर मास 30 या 31 दिनों का होता है, जबकि चंद्रमास 27, 28, 29 या 30 दिनों का होता है। इसमें समानता नहीं रहती।
अंग्रेजी तिथि 30 या 31 दिनों की होती है। लीप ईयर में फरवरी 29 दिनों का होता है। शेष समय यह 28 दिनों का होता है। दिनों में समानता लाने के लिए मलमास होता है। इस वर्ष यह 15 अप्रैल से 14 मई तक है। इस दौरान अत्यावश्यक अन्नप्रासन्न, सधौरी व मूल नक्षत्र में जन्म लिए बच्चों की शांति कराई जा सकती है। भागवत कथा भी हो सकती है। दान, विवाह, गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार व तीर्थयात्रा की मनाही रहती है।