सूर्य-चन्द्र से जा‍निए शकुन

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अथर्ववेद में सूर्य तथा चन्द्र ग्रहण को अशुभ तथा दुर्निमित कहा गया है। अत: राहु से ग्रस्त सूर्य की शांति के लिए प्रार्थना की गई है।

सूर्य तथा चन्द्र ग्रहण के अवसर पर सरोवर स्नान की महिमा कही गई है।

किसी पुण्य स्थल पर स्नान और जप करने से सूर्य तथा चन्द्र ग्रहण के दोष से मुक्ति मिलती है।

* सूर्य का चन्द्र की भांति दिखाई देना अशुभ एवं मृत्युसूचक माना गया है।

* सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय निद्रा निमग्न होना, आलस्य की प्रतीति अशुभ एवं अमंगल की सूचक है।

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* सूर्य के आकार का धनुषाकार रूप में दिखाई देना अपशकुन कहा गया है।

* गंदे जल या विकृत पदार्थों में यदि सूर्य का बिंब नजर आता है तो ऐसा दुर्भाग्य की सूचना देता है।

* उषाकालीन सूर्य के दर्शन न होना अमंगलकारी माना गया है।

* मेघ वर्षा के उपरांत इन्द्रधनुष के दर्शन मंगल की सूचना देता है।

* यात्रा के समय वायु का अवरुद्ध गति से प्रवाह अपशकुन माना गया है।

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