धर्म-पुराणों के अनुसार पाप 10 प्रकार के कहे गए हैं। 3 तीन प्रकार के शरीर के और 4 प्रकार के वाणी द्वारा किए गए एवं 3 मानसिक रूप से होने वाले पाप। अतः गंगा स्नान, गंगा एवं गंगा स्मरण, इन दस प्रकार के पापों को समाप्त कर मानव को कायिक, वाचिक एवं मानसिक रूप से निर्मल कर देती है।