Masik Shivratri 2021 : मास शिवरात्रि 02 दिसंबर को, जानें महत्व, पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और मंत्र
Masik Shivratri Pradosh Vrat पौराणिक जानकारी के अनुसार हिंदू धर्म में प्रतिमाह आने वाली शिवरात्रि का शिवभक्तों के लिए बड़ा महत्व है। माना जाता है कि महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि को भगवान शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे। उसी समय ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पहली बार शिवलिंग का पूजन किया गया था। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर शिवरात्रि मनाई जाती है, जो कि मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2021) के नाम से जनमानस में प्रचलित है।
वैसे तो एक वर्ष में एक महाशिवरात्रि और 11 शिवरात्रियां पड़ती हैं, जिन्हें मासिक शिवरात्रि के रूप में शिव जी के विशेष पूजन-अर्चन के साथ मनाया जाता है। मासिक शिवरात्रि हर माह में एक बार आती है। इस तरह से 12 शिवरात्रि मानी गई है। यह हिंदी माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। धार्मिक शास्त्रों की मानें तो मासिक शिवरात्रि पर व्रत-उपवास रखने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। यह व्रत धन की देवी महालक्ष्मी, सावित्री, पार्वती, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री और रति आदि ने शिवरात्रि का यह व्रत किया था और शिव कृपा प्राप्त करके अनंत फल प्राप्त किए थे।
इस व्रत के संबंध में कहा जाता है कि जिस भी व्यक्ति को शिव-पार्वती जी की कृपा प्राप्त करना हो उन्हें मासिक शिवरात्रि व्रत अवश्य करना चाहिए। पंचांग की तिथि के अनुसार इस बार मार्गशीर्ष मास की मासिक शिवरात्रि व्रत गुरुवार, 2 दिसंबर 2021 को रखा जाएगा। शिवरात्रि पूजन रात्रि में होने के कारण शिवरात्रि व्रत 02 दिसंबर को ही किया जाएगा। इस दिन भगवान शिव जी का व्रत-पूजन विशेष फलदायी रहेगा।
कैसे करें मासिक शिवरात्रि व्रत-पूजन, पढ़ें विधि- Shivratri Shiva Worship
- मासिक शिवरात्रि इस दिन सुबह जल्दी उठें और नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं।
- इसके बाद जिस जगह पूजा करते हैं, वहां साफ कर लें।
- दिन भर भगवान शिव जी का ध्यान और उनकी स्तुति करें।
- रात्रि के समय प्रसाद रूपी खीर का सेवन कर पारण करें और दूसरों को भी प्रसाद बांटें।
Shiv Jee Worship
मासिक शिवरात्रि तिथि और शुभ मुहूर्त Masik Shivratri Tithi n Muhurat 2021
मार्गशीर्ष कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ बुधवार, 1 दिसंबर को रात्रि 11.35 मिनट से शुरू हो रहा है और गुरुवार, 2 दिसंबर 2021 रात्रि 8.26 मिनट पर त्रयोदशी समाप्त होगी। उसके बाद से चतुर्दशी तिथि शुरू होगी, जो कि दिन शुक्रवार, 03 दिसंबर को शाम 04.55 मिनट तक रहेगी।
पंचांग की मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत उदयातिथि में गुरुवार, 02 दिसंबर को रखना ही उचित माना जाएगा।