मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी की पूजा होती है। इस दिन उन्हें लौंग, इलायची, सुपारी, पान का बीड़ा अर्पित करना चाहिए। गुड़-चने का प्रसाद, लड्डू, केसर भात, इमरती, रोट या रोठ, पंचमेवा, चमेली का तेल और फूल, सिन्दूर, ध्वज, जनेऊ, लाल चंदन में केसर, चौला आदि अर्पित करके आटे का दीपक जलाकर उनकी पूजा और आरती की जाती है। आओ जानते हैं कि क्यों जलाया जाता है आटे का दीपक।
4. यदि आप किसी संकट से घिरे हैं तो हनुमाजी के मंदिर में बढ़ते क्रम से आटे का दीपक जलाएं। ये दीप घटती और बढ़ती संख्या में लगाए जाते हैं। एक दीप से शुरुआत कर उसे 11 तक ले जाया जाता है। जैसे संकल्प के पहले दिन 1 फिर 2, 3, ,4 , 5 और 11 तक दीप जलाने के बाद 10, 9, 8, 7 ऐसे फिर घटते क्रम में दीप लगाए जाते हैं। यह दीपक कर्ज से मुक्ति, शीघ्र विवाह, नौकरी, बीमारी, संतान प्राप्ति, खुद का घर, गृह कलह, पति-पत्नी में विवाद, जमीन जायदाद, कोर्ट कचहरी में विजय, झूठे मुकदमे तथा घोर आर्थिक संकट के निवारण हेतु आटे के दीप संकल्प के अनुसार जलाए जाते हैं।