13 जून को अधिक मास की अमावस्या, जानिए कैसे करें व्रत और पूजन...

हिंदू धर्म में अमावस्या विशेष धार्मिक महत्व रखती है। पुराणों के अनुसार अमावस्या के दिन स्नान-दान करने की परंपरा है। वैसे तो इस दिन गंगा-स्नान का विशिष्ट महत्व माना गया है, परंतु जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते, वे किसी भी नदी या सरोवर तट आदि में स्नान कर सकते हैं तथा शिव-पार्वती और तुलसीजी का पूजन कर अमावस्या का लाभ उठा सकते हैं।
 
अमावस्या के दिन विशेष करके किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, अमावस्या और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।
 
इस बार 13 जून, 2018, बुधवार को आनेवाली अमावस्या के दिन पुरुषोत्तम मास की समाप्ति हो जाएगी। अत: अमावस्या के दिन निम्नानुसार पूजन करना फलदायी रहेगा। 
 
आइए जानें कैसे करें पूजन :-
 
* अमावस्या के दिन पीपल की परिक्रमा करने का विधान है। उसके बाद गरीबों को भोजन कराया जाता हैं।
 
* ऐसा माना गया है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का निवास होता है। अत: इस दिन पीपल के पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है। 
 
* अमावस्या के दिन की यह भी मान्यता है कि इस दिन पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है। 
 
* जिन लोगों की कुंडली में में चन्द्रमा कमजोर है, वह जातक गाय को दही और चावल खिलाएं तो उन्हें मानसिक शांति प्राप्त होगी। 
 
* पर्यावरण को सम्मान देने के लिए भी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विधान माना गया है। 
 
* अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें। 
 
* अमावस्या के दिन सूर्य नारायण को जल देने से दरिद्रता दूर होती है। 
 
* महाभारत काल से ही अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर तीर्थस्थलों पर पिंडदान करने का विशेष महत्व है।
 
* इस दिन वस्त्र, अन्न, गुड़ घी का दान एवं विशेष कर मालपुए का दान करना चाहिए।
 
* रोग, कष्ट आदि की निवृत्ति के लिए महामृत्युंजय जप, अनुष्ठान किए जा सकते हैं।

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